भारत के वन

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भारत के वन
भारत के वन

भारत के वन:- आज SSCGK आपसे भारत के वन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।

इससे पहली पोस्ट में आप भारत की प्रमुख झीलें नामक विषय को विस्तार से पढ़ चुके हैं।

भारत के वन:-

परिचय:-हमारे देश भारत में वनाच्छादित क्षेत्रफल 748 लाख हेक्टेयर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 27.7 प्रतिशत है । भारत में 93 प्रतिशत उष्ण कटिबंधीन वन तथा शेष 7 प्रतिशत शीतोष्ण वन हैं । उष्ण कटिबंधीय वनों में 50 प्रतिशत पर्णपाती अर्थात् पतझड़ वन हैं । भारत के राज्यों में सर्वाधिक वन से आच्छादित अरूणाचल प्रदेश 87 प्रतिशत है,जबकि बिहार में 17 प्रतिशत, राजस्थान में 4 प्रतिशत तथा हरियाणा एवं पंजाब में मात्र 2 प्रतिशत क्षेत्र पर वन हैं ।भारत में वनों का उत्पाद प्रतिवर्ष मात्र 0.5 घन मीटर प्रति हेक्टेयर है, जबकि विश्व का औसत उत्पादन 2.1 घन मीटर प्रति हेक्टेयर है ।

भारत के वन:-

अपना भारत एक मानसूनी जलवायु का देश है । इसके बावजूद यहाँ अनेक प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पायी जाती हैं । यहाँ वृहत अक्षांशीय विस्तार, पर्वतीय विविधता तथा वनस्पतियों के प्रकार  तटीय फैलाव, वर्षा के वितरण की विषमता, उच्चावच आदि के कारण यहाँ वनों में व्यापक विषमता पाई जाती है ।भारतीय वनों को मुख्य रूप से छः भागों में बांटा गया है –

No.-1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन|

No.-2. उष्ण कटिबन्धीय आर्द्रपर्णपाती वन|

No.-3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन –

No.-4. पर्वतीय वन|

No.-5. कँटीले वन|

No.-6. ज्वारीय वन|

BHARAT KI VANASPATI:-

No.-1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन –

इस प्रकार के वन भारत के उन अत्यधिक आर्द्र एवं उष्ण भागों में मिलते हैं, जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 200 से.मी. से अधिक, सापेक्ष आर्दता 70 प्रतिषत से अधिक तथा औसत तापमान 240 के आसपास रहता है । भारत में इन वनों का क्षेत्रफल 46 लाख हेक्टेयर है । उच्च तापमान, अधिक वर्षा और अपेक्षाकृत अल्पकालीन शुष्क ऋतु के कारण ये वन अत्यंत सघन तथा ऊँचे होते हैं । ऐसे पेड़ों की ऊँचाई 60 मीटर से भी अधिक होती है । विभिन्न जाति के वृक्षों के पत्तों के गिरने का समय भिन्न होता है, जिसके कारण संपूर्ण वन हमेशा हरा रहता है। इन वनों में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण वृक्षों में रबड़, महोगनी, एबोनी नारियल, बांस, बेंत तथा आइसवुड प्रमुख हैं। ये वन मुख्यतः 4 क्षेत्रों में पाये जाते हैं –

(१) हिमालय का तराई क्षेत्र

(२) पूर्वोत्तर भारत { नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा,असम, मेघालय, }

(३) पश्चिमी घाट

(४) अण्डमान निकोबार द्वीप समूह

भारत के वन:- 

No.-2. उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन –

इस प्रकार के वनों को ‘उष्ण मानसूनी वन’ भी कहते हैं । ये वन भारत के उन सभी भागों में पाए जाते हैं, जहाँ 100 से 200 से.मी. वार्षिक वर्षा होती है । इसके मुख्य क्षेत्र सह्याद्रि या पश्चिमी घाट के पूर्वी ढ़लान, प्रायद्वीपीय उत्तरी-पूर्वी पठार, उत्तर में शिवालिक श्रेणी के सहारे भाबर और तराई में फैले हुए हैं । इस प्रकार के वन के पेड़ों की ऊँचाई सामान्यतः 30 से 45 मीटर होती है। ये पेड़ ग्रीष्म ऋतु के आरम्भ में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं, इसलिए इसे पतझड़ वन भी कहते हैं । इस प्रकार के पेड़ों में सागवान, सखुआ, बाँस, चंदन, शीशम, आम, महुआ, आँवला, हरड, बहेडा और कत्था आदि प्रमुख एवं आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पेड़ हैं ।

 भारत के वन:-

 No.-3. उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन –

भारत में ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 100 से.मी. तक होती है । वर्षा की कमी और जलवायु की विषमता के कारण इनमें ऊँचे पेड़ों का अभाव। शुष्क सीमान्त क्षेत्रों पर ये पर्णपाती वन कँटीले वनों और झाडि़यों मे बदल जाते हैं । इसमें उत्तर प्रदेश के अधिकतर भाग, उत्तरी तथा पश्चिमी मध्यप्रदेश,  पश्चिमी बिहार, महाराष्ट्र के अधिकतर भाग, उत्तरी आंध्रप्रदेश , कर्नाटक की मध्यवर्ती उत्तरी-दक्षिण संकीर्ण पट्टी और तमिलनाडु के पूर्वी भाग सम्मिलित हैं ।

भारत के वन:-

No.-4. पर्वतीय वन –

पर्वतीय वनों को भौगोलिक दृष्टि से उत्तरी या हिमालय वन तथा दक्षिणी या प्रायद्वीपीय वनों में बांटा जा सकता है –

(१).- उत्तरी या हिमालय वन – हिमालय की गिरिपाद शिवालिक की श्रेणियाँ उष्णकटिबंधीय आर्द्रपर्णपाती वनों से आच्छादित हैं। इन वन प्रदेषों में ऊँचाई की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये विभिन्न पेटियों में वर्गीकृत हैं, एवं ये सभी पेटियाँ केवल 6 कि.मी. की ऊँचाई में समायी हुई हैं। यहाँ के प्रमुख वृक्ष हैं-साल व बांस ।

 (A).- 100 से लेकर 200 मीटर तक की ऊँचाई पर आर्द्र पर्वतीय वन पाए जाते हैं। इसी ऊँचाई पर उत्तर-पूर्वी भागों में उपोष्ण कटिबंधीय चीड़ के वन पाए जाते हैं। यहाँ सामान्य रूप से सेब के वृक्ष सदाहरित चौड़ी पत्ती वाले ओक, अखरोट आदि के वृक्ष मिलते हैं ।

 (B).- 1600 से 3300 मीटर की ऊँचाई के बीच शीतोष्ण कटिबंधीय प्रसिद्ध शंकुधारी वन पाए जाते हैं । इन वनों में चीड़, स्प्रूस, सिल्चर, फर और सिल्चर वृक्ष पाए जाते हैं ।

 भारत के वन:-

 (C).- 3000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर अल्पाइन वनों तथा चारागृह भूमियों का संक्रमण पाया जाता है । इन वनों के प्रमुख वृक्ष सिल्वर फर, चीड़, वर्च तथा जैनिफर हैं ।

 (२).- प्रायद्वीपीय पहाडि़यों के वन या दक्षिणी वन – इस प्रकार की वनस्पति में मुख्य रूप से घास के मैदान मिलते हैं, जिनके बीच झाडि़याँ पाई जाती हैं । इस प्रकार की वनस्पति मुख्यतः सतपुड़ा नीलगिरि, अन्नासलाई, पालनी, महाबलेश्वेर, सह्याद्रि के उच्च भाग आदि में मिलती हैं ।

 No.-5. कँटीले वन –

भारत में ये वन गुजरात से लेकर राजस्थान और पंजाब के उन भागों में मिलता है, जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से.मी. से कम होती है । बबूल, खैर, खजूरी तथा खेजरी इन वनों के कुछ प्रमुख उपयोगी वृक्ष हैं । बहुत ही कम वर्षा वाले क्षेत्र में नागफनी और कैक्टस् प्रजातियों की अर्द्धमरुस्थलीय वनस्पति ‘जीरोफाइट्स’ पाए जाते हैं ।

भारत के वन:-

 No.-6. ज्वारीय वन:- भारत में ये वन उष्णकटिबंध के ज्वारीय दलदलों, तटीय लैगून, डेल्टा तथा पश्च-जल झीलों के समीप मिलता है । इन्हें मैनग्रोव वन भी कहा जाता है । ये वन गंगा-ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी तथा कृष्णा-कावेरी आदि के डेल्टाओं में उगते हैं । सुन्दरी नामक वृक्ष इन वनों का प्रसिद्ध वृक्ष है । इसी वृक्ष के नाम पर गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा के वन को सुन्दरवन कहा जाता है । इसके अलावा गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी ये वन पाए जाते हैं । इसलिए इन वनों को ‘कच्छ’ या ‘गरान वनस्पति’ भी कहते हैं । ज्वारीय वन के अन्तर्गत तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्र में पाये जाने वाले ताड़ के वन तथा पष्चिमी तटवर्ती मैदान में पाया जाने वाला नारियल का वन भी सम्मिलित हैं ।