ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार -इस आर्टिकल में आज SSCGK आपसे ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे पहले आर्टिकल में आप वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
परिभाषा-
“भूमि की सतह पर स्थित वह प्राकृतिक छेद या दरार जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का पिघला हुआ लावा (पदार्थ, गैस या भाप, राख इत्यादि) बाहर निकलता है, उसे ज्वालामुखी कहते हैं|”
पृथ्वी के अन्दर का पिघला हुआ अत्यधिक गर्म पदार्थ, जो ज्वालामुखी से बाहर निकलता है, वह लावा कहलाता
है| लावा बहुत ही गर्म और लाल रंग का होता है| यह (लावा) जमकर ठोस और काला हो जाता है, जो बाद में
जाकर ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है. लावा में बहुत अधिक मात्रा में गैस होती है और वह एक
ही बार निकल पाती है| इन गैसों के निकलने के कारण लावा में बुलबुले उठते रहते हैं| इसका बहना बंद हो
जाने के उपरान्त कुछ समय तक भाप निकलती रहती है|
ज्वालामुखी से निकली ये गैसें ही पिघली चट्टान को ऊपर लाने में सहायक होती हैं| लेकिन यह जरुरी है कि भूमि
की सतह पर कहीं कोई कमजोर परत मौजूद हो जिसे फाड़कर या तोड़ कर गैस लावा को ऊपर की ओर रास्ता
बनाने में मदद करे| ज्वालामुखी में विस्फोट होने पर भूकंप होना सामान्य बात है|
Jwalamukhi ki Paribhasha Evm Prakar-
ज्वालामुखी-विस्फोट कैसे होता है?
एक भूविज्ञानी ने ज्वालामुखी-विस्फोट के कारणों पर अपने विचार व्यक्त करते हए बताया है, “ज्वालामुखी
पृथ्वी की सतह पर उगे हुए फोड़े हैं| ये वहीं फूटते हैं, जहाँ की पपड़ी कमजोर होती है, जहाँ इन्हें कोई
रास्ता मिल जाता है|”
Jwalamukhi ki Paribhasha Evm Prakar-
हम पृथ्वी की सतह को फाड़कर तो नहीं देख सकते हैं, लेकिन ऐसा अनुमान लगाते हैं कि वहाँ की स्थिति क्या
हो सकती है| इस तकनीकि के दौर में अभी तक हम ज्वालामुखी-विस्फोट के बारे में जानकारी हासिल करने
के लिए सिर्फ चार मील की गहराई तक खुदाई कर सके हैं| इतनी खुदाई करने के बाद हम लोगों ने पाया कि
गहराई के साथ-साथ तापक्रम बढ़ता जाता है| इसी कारण से हमें सबसे गहरी खानों को वातानुकूलित करना
पड़ता है|अभी तक नीचे की ओर बढ़ते हुए तापक्रम को देखकर ही लोगों का विश्वास था कि पृथ्वी का भीतरी
भाग ठोस नहीं हो सकता| वहाँ की चट्टानें द्रव अवस्था में हैं|लेकिन भूकंप विज्ञानियों ने भूकंप-लेखक यंत्रों की
सहायता से भूकंप की लहरों का अध्ययन कर पता लगाया है कि 1800 मील की गहराई तक पृथ्वी की पपड़ी
द्रव अवस्था में नहीं है|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार–
यह बात सत्य है कि उन चट्टानों के पास पिघलने के लिए जगह भी नहीं है| लावा कहाँ से और कैसे ऊपर
आ जाता है| लेकिन लावा तो पृथ्वी के अन्दर से निकली हुई पिघली चट्टानें हैं| हो सकता है किन्हीं कारणों
से कहीं-कहीं पृथ्वी की पपड़ी का दबाव कम हो गया हो| यह भी हो सकता है कि पपड़ी खिंचकर ऊपर
उठ गई हो| यही कारण है कि पृथ्वीधीरे-धीरे ठंडी हो रही है तथा सिकुड़ रही है और पपड़ी में झुर्रियाँ पड़
रही हैं| यह भी हो सकता है कि पपड़ी के स्थान-विशेष की चट्टानें विशेष रूप से गर्म हो उठी हों|
भूवेत्ताओं ने कुछ सालों पहले चट्टानों में रेडियो-सक्रिय तत्त्वों का पता लगाया है| ये रेडियो-सक्रिय तत्त्व
टूटकर दूसरेपदार्थों में बदल जाते हैं और इसी परिवर्तन के कारण ताप उत्पन्न होता है|स्थान-विशेष की
चट्टानें लगातारतेजी से निकलते इस ताप से बहुत गर्म होकर पिघल जा सकती हैं और ऊपर की ठोसपपड़ी
को फाड़कर निकल जा सकती हैं.
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
मैग्मा क्या होता है ?
पृथ्वी के भीतर पिघली हुई चट्टानों के भंडार को “मैग्मा कहते हैं| हम यह निश्चित रूप से नहीं कह सकते
कि इनशक्तियों के कारण ज्वालामुखी विस्फोट हुआ करता है| हम इसकी तुलना बोतल में भरे सोडावाटर
से कर सकते है|जिस प्रकार काग खुलते ही सोडावाटर मुँह की ओर दौड़ता है, ठीक उसी तरह कमजोर
भूपटल पाकर गैसयुक्त लावा ऊपर आने के लिए दौड़ पड़ता है और जहाँ-तहाँ अपना रास्ता बना ही लेता है|
अत्यधिक तेजी से आने के कारण बहुत जोर का विस्फोट होता है और धरती को कंपा देता है और वहाँ की
चट्टानें टूट-टूट कर चारों ओर बिखर जाती है|
इसी कारण आसपास के वायुमंडल में धूल, वाष्प और अन्यगैसों के बादल छा जाते हैं और फिर लावा बह
निकलता है| लावा के बहने और जमने से उलटे कीप(funnel)के आकार का पर्वत बन जाता है और उसके
मुँह पर गड्ढा|हो जाता है जिसे क्रेटर या ज्वालामुखी कहते हैं|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
ज्वालामुखी के प्रकार- ज्वालामुखी का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है –
No.1. सक्रिय या जाग्रत (Active)
No.2. सुषुप्त या निद्रित (Dormant)
No.3. मृत (Extinct)
No.1. सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी (ACTIVE VOLCANOES)- ऐसे ज्वालामुखी जिनसे समय-
समय पर विस्फोट हो जाया करता है अर्थात् जिनसे लावा, गैस, वाष्प इत्यादि निकलता रहता है,वे सक्रिय
ज्वालामुखीकहलाते हैं| नवीनतम आंकड़ों के अनुसार संसार में इनकी संख्या लगभग 1,500 है| दुनिया
में ये हर जगह नहीं मिलते हैं | भारत में अंडमान निकोबार के Barren Island में सक्रिय ज्वालामुखी
है| दुनिया के कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी हैं – कैलिफ़ोर्निया का लासेन, इक्वेडोर का कोटोपैक्सी, हवाई
द्वीप का मौना लोआ, सिसली का एटना और स्ट्राम्बोली, इटली का विसुवियस, मेक्सिको का पोपोकैटपेटल|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
No.2. सुषुप्त या निद्रित ज्वालामुखी (DORMANT VOLCANOES)- ऐसे ज्वालामुखी जो बहुत से
सालों/वर्षों से शांत, स्तब्ध या सोये हुए मालूम होते हैं, लेकिन उनके सक्रीय या जाग्रत होने की संभावना रहती है,
वे सुषुप्त या निद्रित ज्वालामुखी कहलाते हैं| अगर देखा जाए ऐसे ज्वालामुखी बहुत खतरनाक साबित होते हैं|
ऐसे किसी ज्वालामुखी को शांत समझकर लोग उसकी तलहटी में बस जाते हैं| लेकिन जब किसी दिन वह
विशालकाय दैत्य जागता है, तो धरती हिलने लगती है|
उस सोये हुए ज्वालामुखी के भीतर से गड़गड़ाहट की आवाज़ आने लगती है और विध्वंस-लीला होने लगती है|
जिसकी वजह से उसके आसपास के नगर और गाँव बर्बाद हो जाते हैं| विसुवियस भी एक सुषुप्त ज्वालामुखी
था |उसमे भी अचानक सन् 79 ई. एक ऐसा भयंकर विस्फोट हुआ जो अपनी तलहटी में बसे पम्पयाई और
हरक्यूलैनियम नगरों को निगल गया| इसके बाद भी यह 17वीं शताब्दी, 19वीं शताब्दी और 20वीं शताब्दी में
(सन् 1906 ई. में)जगा और जान माल अपार क्षति पहुँचा गया|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
जापान का फ्यूजीयामा सुषुप्त ज्वालामुखी के अन्दर आता है| इसे संसार का सबसे सुन्दर ज्वालामुखी कहा
जाता है|लेकिन इसका भी कोई पता नहीं कि वह कब विध्वंस की लीला शुरू कर दे| इसके बावजूद जापानियों
को फ्यूजीयामा बहुत प्रिय है|मेयन को “फिलीपीन का फ्यूजीयामा” कहा जाता है| यह भी एक सुन्दर
ज्वालामुखी है | यह भी कई बार फूट चुका है|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
क्राकाटोआ भी एक सुषुप्त ज्वालामुखी था| क्राकाटोआ विस्फोट (सन् 1883 ई. का) जावा और सुमात्रा के
बीच हुआ था |यह विस्फोट भी सुषुप्त ज्वालामुखी का ही उदाहरण प्रस्तुत कर गया| इसने एकाएक ऐसा
भयंकर प्रलय लाने वाला दृश्य उपस्थित किया जो पहले किसी ने न तो देखा था और न सुना था| इसमें इतने
जोर का विस्फोट हुआ था कि उसकी आवाज़ हजारों मील तक सुनाई पड़ी थी| इसके कारण से समुद्र में इतनी
बड़ी लहरें उत्पन्न हुई थीं कि वे पृथ्वी की परिक्रमा करने लगीं थीं |इस विस्फोट के कारण आकाशमें इतनी
अधिक धूल और राख फैली कि तीन वर्ष तक उड़ती रही| उस समय वायु में इतनी तेज लहरें पैदा हुईं कि
वे तीन बारपृथ्वी की परिक्रमा कर आयीं| उस भयंकर विस्फोट के कारण लगभग36 हज़ार आदमी मारे गये
और सारा द्वीप नष्ट हो गया|
ज्वालामुखी की परिभाषा व प्रकार-
No.3. मृत या शांत ज्वालामुखी (EXTINCT OR DEAD VOLCANOES)-ऐसे ज्वालामुखी जो बहुत लम्बे समय से
अर्थात जो युगों से शांत हैं और जिनका विस्फोट एकदम बंद हो गया है| संसार के मृत या शांत ज्वालामुखियों में अफ्रीका का
किलिमंजारो, दक्षिण अमेरिका का चिम्बराजो, हवाई द्वीप का मीनाको, बर्मा का पोपा, एवं ईरान का कोह सुल्तान शामिल हैं|