दिन और रात का बनना - SSC GK

दिन और रात का बनना

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दिन और रात का बनना
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दिन और रात का बनना:-इस आर्टिकल में आज SSCGK आपसे दिन और रात का बनना नामक विषय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे इससे पहले आर्टिकल में आप HTET JBT Exam 2021 के बारे में विस्तार से कर चुके हैं।

दिन और रात का बनना:

आज हम आपको दिन और रात कैसे बनते हैं के बारे में विस्तार से बताएंगे। सभी लोग इस बात
से परिचित ही होंगे कि सूर्य पूर्व दिशा में उदय होने के साथ ही दिन हो जाता है तथा सूर्य के पश्चिम
दिशा में अस्त होने के साथ ही रात हो जाती है। आसमान में जब तक सूर्य चमकता रहता है, तब
तक दिन रहता है तथा सूर्यास्त के बाद चारों तरफ अंधेरा छा जाता है तथा रात हो जाती है। अब
प्रश्न यह उठता है कि सूर्य उदय क्यों होता है और अस्त क्यों होता है? इस विषय को समझना हम
सब के लिए अति अनिवार्य हैं।

 दिन और रात का बनना:-

हम सभी जानते हैं कि ग्रह और उपग्रह सभी प्रकृति के नियमों में बंधे हुए हैं और अपने अपने
नियत कक्षाओं में परिक्रमा करते रहते हैं। हमारी यह पृथ्वी भी सौरमंडल का एक ग्रह है। यह
अपनी अक्ष पर 23½° के कोण पर झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती
रहती है और अपना एक घूर्णन चक्र 24 घंटे में पूरा कर लेती है।

हमारी यह पृथ्वी अपनी नियत कक्षा में अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर
एक परिक्रमा 365¼ दिनों में पूरा करती है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर
निरंतर घूमते रहने के कारण इसका जो भाग सूर्य के सामने आता है अर्थात सामने रहता है,
वहां पर दिन हो जाता है तथा जो भाग सूर्य से परे होता है, वहां रात होती है।

DIN AUR RAAT KA BAN NA-

खगोलशास्त्रियों के मतानुसार पृथ्वी नारंगी की तरह गोल है। इसके दो ध्रुव हैं- उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव।
यह ध्रुवों पर थोड़ी सी अंदर की ओर पिचकी हुई है। पृथ्वी निरंतर अपने अक्ष पर घूमती रहती है। इस पृथ्वी
की अपने अक्ष पर निरंतर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमते रहने से इसका जो भाग सूर्य के सामने होता है, उस
भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ने से दिन हो जाता है तथा जो भाग सूर्य से परे होता है, वहां पर प्रकाश ने पहुंचने
के कारण अंधेरा छा जाता है और रात हो जाती है।

दिन और रात का बनना:-

इस प्रकार हम कह सकते हैं की पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण ही दिन-रात बनते हैं। ध्रुवों पर 6-6 महीने
पर का दिन और 6-6 महीने की रात होती है। जो ध्रुव सूर्य के सामने रहता है वहां पर लगातार छह महीने
तक दिन खिला रहता है तथा जो ध्रुव सूर्य से परे होता है, वहां 6 महीने की रात होती है।
सौरमंडल के ग्रह एवं उपग्रह, उल्का पिंड आदि के परिवार को सोलर परिवार कहते हैं। इस परिवार को सूर्य
अपनी उर्जा से सराबोर कर देता है। सौर परिवार के मुख्य ग्रह हैं- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, शनि, बृहस्पति,
यूरेनस नेप्चून आदि। ये ग्रह एवं उपग्रह अपनी अपनी नियत कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करने में लगे रहते हैं।

दिन और रात का बनना:-

सौरमंडल के ग्रहों में से केवल पृथ्वी पर ही जीवन संभव है। इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। यह भी अन्य
ग्रहों की तरह अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करती रहती है। अपने अक्ष पर घूमते
हुए यह एक चक्र 24 घंटे में पूरा करते हैं और पृथ्वी इस गति को ही घूर्णन गति करते हैं। पृथ्वी की इस
दैनिक गति के कारण ही दिन रात बनते हैं। हमारी यह पृथ्वी सूर्य के चारों ओर की एक परिक्रमा लगभग
1 वर्ष (365 दिन 6 घंटे 48 मिनट एवं 45.51 सेकंड) में पूरा करती है। पृथ्वी इस गति को वार्षिक गति कहते हैं

कंठस्थ करने योग्य महत्वपूर्ण बातें:-

दिन और रात का बनना:-

नं.1. पृथ्वी की दैनिक गति/घूर्णन गति के कारण दिन रात बनते हैं।

नं.2. 21 जून को पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। इस कारण उत्तरी गोलार्द्ध में
21 जून को साल का सबसे बड़ा बड़ा दिन होता है।

नं.3. नार्वे विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर सूर्यास्त नहीं होता है। इस देश में 76 दिनों तक सूरज
अस्त नहीं होता क्योंकि यह आर्किटिक सर्कल के अंदर आता है। यहाँ मई से जुलाई के बीच करीब 76
दिनों तक सूरज अस्त नहीं होता। सारे संसार में यह एकमात्र ऐसी जगह है, जहां रात को  12 बजकर 43
मिनट पर सूरज छिपता है और महज 40 मिनट के अंतराल पर उग आता है।

दिन और रात का बनना:-

यह अद्भुत नजारा नार्वे में ही देखने को मिलता है। यहां आधी रात को सूरज छिपता है और रात करीब
डेढ़ बजे चिड़‍ियां चहचहाने लगती है। ये सिलसिला एक-दो दिन नहीं, साल में करीब ढाई महीना यहां
सूरज छिपता ही नहीं। एकमात्र यही कारण है की नार्वे को कंट्री ऑफ मिडनाइट सन’ कहा जाता है।

नं.4. उत्तरी गोलार्द्ध में 22 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन होता है।जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में 22
दिसंबर को वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है।

नं.5. हर साल 21 मार्च और 23 सितंबर वर्ष के सबसे छोटे छोटे दिन होते हैं।

नं.6. 23 सितंबर के उपरांत दिन छोटे शुरू होने लगते हैं और रातें लंबी होनी शुरू हो जाती हैं।

हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी से आप लाभान्वित होंगे । इससे आपका ज्ञानवर्धन हो पाएगा।

Jagminder Singh

My name is Jagminder Singh and I like to share knowledge and help.

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