प्रत्यय की परिभाषा व उदाहरण:-आज SSCGK आपसे प्रत्यय की परिभाषा व उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।
इसे पहली पोस्ट में आप उपसर्ग की परिभाषा व उदाहरण के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
प्रत्यय की परिभाषा व उदाहरण:-
वे शब्दांश जो मूल शब्द के अंत में जोड़कर उनके अर्थ को बदल देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
जैसे:-
इतिहास + इक =ऐतिहासिक
समाज + इक =सामाजिक
अच्छाऊ + ई =अच्छाई
पालन + हार =पालनहार
तारण + हार =तारणहार
प्रत्येक के भेद /प्रकार:- प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-
- कृत प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
प्रत्यय की परिभाषा व प्रकार :-
1.कृत प्रत्यय:- वे प्रत्यय जो धातु क्रिया के अंत में जोड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं ,उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं| इन से बनने वाले पदों को कृदंत कहा जाता है।
कृत प्रत्यय के प्रकार:-
(१).कर्तृवाचक कृतप्रत्यय
(२).कर्मवाचक कृतप्रत्यय
(३).करणवाचक कृतप्रत्यय
(४).भाववाचक कृतप्रत्यय
(५).क्रियावाचक कृतप्रत्यय
हिंदी में प्रत्यय की परिभाषा व प्रकार :-
(१). कर्तृवाचक कृत प्रत्यय:-वे कृत प्रत्यय जो क्रिया के अंत में जोड़कर कर्तावाचक शब्दों का निर्माण करते हैं, कर्तृवाचक कृतप्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
अक-रक्षक, धावक चालक, नाशक, पालक
ता– ज्ञाता, वक्ता, श्रोता, दाता
हार-पालनहार, तारणहार, खेवनहार
वाला-दुकानवाला, पढ़नेवाला, लिखनेवाला, सब्जीवाला, कबाड़ीवाला, ठेलेवाला
अक्कड़-घुमक्कड़, पियक्कड़, भुलक्कड़
(२). कर्मवाचक कृत प्रत्यय :- वे कृत प्रत्यय जो क्रिया के अंत में जुड़कर क्रमवाचक शब्दों का निर्माण करते हैं, कर्मवाच्य कृत प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे:-
ना-दाना, खाना, गाना
औना-बिछौना, खिलौना
(३). करणकारक कृत प्रत्यय :- वे कृत प्रत्यय जो क्रिया के अंत में जुड़कर क्रिया के साथ में का निर्माण करते हैं, करणवाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
आ-मेला, झूला, ठेला
नी-छलनी, कतरनी, लेखनी, फूंकनी
अन-ढक्कन, बेलन
(४). भाववाचक कृत प्रत्यय:- वे कृत प्रत्यय जो क्रिया के अंत में जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं, भाववाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
आई-लिखाई, पढ़ाई, चढ़ाई, लड़ाई, चतुराई
आवा-बुलावा, बुलावा, दिखावा, चढ़ावा
आहट-बनावट, सजावट, रुकावट, थकावट, लिखावट,
आवट-मुस्कुराहट, गर्माहट, घबराहट, घबराहट, बिलबिलाहट
प्रत्यय की परिभाषा व प्रकार :-
(५). क्रियावाचक कृत प्रत्यय:- वे कृत प्रत्यय जो क्रिया के अंत में जुड़कर क्रिया वाचक शब्दों का निर्माण करते हैं, क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
ता-पढ़ता, लिखता, रोता, खाता, पीता, सोता, हंसता
कर-लिखकर, पढ़कर, आकर, जाकर, खाकर, पीकर
या-खाया, पिया, आया, गया
- तद्धित प्रत्यय :-संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं और इन से बनने वाले पदों को तद्धितांत कहते हैं।
तद्धित प्रत्यय के प्रकार /भेद-
(१). कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
(२). भाववाचक तद्धित प्रत्यय
(३). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
(४). संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
(५). न्यूनतावाचक तद्धित प्रत्यय
(६). स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय
प्रत्यय की परिभाषा,प्रकार व उदाहरण:-
(१). कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय:-संज्ञा, सर्वनाम, या विशेषण के अंत में जुड़कर कर्तावाचक शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
आर-कुम्हार, सुनार, लोहार, गंवार
इया-मुखिया, रसिया, दुखिया, सुखिया, बखिया
वाला-दूधवाला, सब्जीवाला, फलवाला, घरवाला, मिठाईवाला, ठेलेवाला
हारा-लकड़हारा, पालनहारा, खेवणहारा, पनिहारा
ची-नकलची, खजान्ची, अफीमची
(२). भाववाचक तद्धित प्रत्यय संज्ञा सर्वनाम या विशेषण के अंत में जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करने वाले प्रत्यय, भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे:-
आई-भलाई, बुराई, अच्छाई, ऊंचाई, मिठाई
ई-खुशी, गर्मी, सर्दी, बरसाती, सफेदी, गुलामी
ता-मानवता, मित्रता, सुंदरता, मधुरता, नीचता
त्व-व्यक्तित्व, अपनत्व, गुरुत्व, बंधुत्व, लघुत्व
पन-अपनापन, बचपन, लड़कपन, भोलापन, पागलपन
(३). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय:- संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के अंत में जुड़कर गुणवाचक शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
आलु-दयालु, कृपालु, ईर्ष्यालु, श्रद्धालु
इन-नवीन, कुलीन, ग्रामीण, नमकीन, कालीन
मान-बुद्धिमान, शक्तिमान
वान-दयावान, धनवान, बलवान
प्रत्यय की परिभाषा व उदाहरण:-
(४). संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय:-संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के अंत में जुड़कर संबंधवाचक शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, संबंध वाचक प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
धर्म + इक =धार्मिक
वर्ष + इक =वार्षिक
शरीर + इक =शारीरिक
समाज + इक =सामाजिक
समास + इक=सामासिक
सर्वनाम + इक =सार्वनामिक
सप्ताह + इक =साप्ताहिक
मास + इक =मासिक
मनस + इक =मानसिक
संसार + इक =सांसारिक
परिवार + इक =पारिवारिक
लक्षण + इक =लाक्षणिक
बुद्धि + इक =बौद्धिक
प्रथम +इक =प्राथमिक
भूगोल + इक =भौगोलिक
लोक + इक =लौकिक
मध्यम + इक =माध्यमिक
(५). न्यूनतावाचक तद्धित प्रत्यय:-संज्ञा सर्वनाम या विशेषण के अंत में जूड़कर न्यूनतावाचक शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, न्यूनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे:-
इया-खटिया, बिटिया, चुहिया, लुटिया
ई-टोकरी, हथौड़ी, मंडली, नाली
(६). स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय:- संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के अंत में जुड़कर स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय, स्त्री बोधक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ।
जैसे:-
आ-छात्रा, सुता, अनुजा, शिष्या
ई-बेटी, काकी, नानी, मामी, देवी
आनी-जेठानी, देवरानी, नौकरानी, सेठानी
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