लिंग की परिभाषा व भेद:-आज sscgk आपसे लिंग की परिभाषा व उसके प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे । पिछली पोस्ट में हमने आपसे क्रिया की परिभाषा व भेद के बारे में चर्चा की थी।
लड़की गीता पढ़ रही है।
लड़का फोन पर बात कर रहा है।
छात्रा पाठ पढ़ रही है।
साहिल गाना गा रहा है।
पिताजी सामान लेने दुकान बाजार गए हैं ।
माताजी रसोई घर में खाना बनाने में लगी है।
उपरोक्त वाक्यों का अध्ययन करने के उपरांत हमें ज्ञात हुआ कि कुछ शब्द पुरुष जाति का बोध करा रहे हैं ,तो कुछ स्त्री जाति का बोध करा रहे हैं । ऐसे शब्दों को लिंग कहते हैं।
लिंग की परिभाषा व भेद:-
लिंग संस्कृत भाषा का एक शब्द है ,जिसका अर्थ है चिह्न /पहचान । जिन शब्दों से स्त्री जाति या पुरुष जाति का बोध हो, उन्हें लिंग कहते हैं।
“शब्द के जिस रुप से पुरुष जाति या स्त्री जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।”
जैसे- घोड़ा,घोड़ी, हाथी, हथिनी, मोर, मोरनी, शेर, शेरनी, लड़का, लड़की आदि ।
हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं- पुल्लिंग व स्त्रीलिंग। जबकि संस्कृत भाषा में लिंग तीन प्रकार के होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग व नपुसंकलिंग।
लिंग के प्रकार हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं:-
1.पुल्लिंग
2.स्त्रीलिंग
No.1.पुल्लिंग:- “शब्द के जिस रुप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिंग कहते हैं ।”
जैसे- लड़का, घोड़ा, मोर, हाथी, शेर, बैल, बंदर,
अध्यापक, पिता, भाई, दादा, मामा आदि।
No.2.स्त्रीलिंग -“शब्द के जिस रुप से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।”
जैसे:- लड़की, घोड़ी, मोरनी, हथिनी, शेरनी, गाय, बंदरिया, अध्यापिका, माता, बहन, दादी, मामी आदि।
हिंदी में लिंग के भेद:-
पुल्लिंग व स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान:-
No.1.महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं-
जैसे- जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, पोष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, बैसाख, जेठ, आषाढ़, सावन, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष।
No.2.कुछ प्राणीवाचक शब्द हमेंशा पुल्लिंग स्त्रीलिंग में ही प्रयुक्त होते हैं ।
जैसे-
पुल्लिंग-तोता, कौवा, खरगोश, गैंडा, भालू, ज़ेबरा, गीदड़, जिराफ, मच्छर, खटमल आदि।
स्त्रीलिंग -नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, सवारी आदि।
No.3.बोलियों के नाम भी हमेंशा स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे-हरियाणवी, गुजराती, पंजाबी सिंधी, मारवाड़ी, भोजपुरी, हिंदी आदि।
No.4.नदियों के नाम हमेंशा स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे– गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा, कालिंदी, रावी, सतलुज, व्यास, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र कृष्णा, अलकनंदा, लूणी, ताप्ती आदि।
No.5.पर्वतों के नाम हमेंशा पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- विंध्याचल, मलयांचल, हिमालय, अरावली आदि।
No.6.देशों, ग्रहों, द्वीपों, महाद्वीपों, सागरों, महासागरों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे-
देश– भारत, श्रीलंका रूस, जापान, नेपाल, फ्रांस, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे आदि।
ग्रह- पृथ्वी, मंगल, बुध, शनि, शुक्र, बृहस्पति, अरुण, वरुण आदि।
द्वीप– लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप, ग्रीनलैंड आदि।
महाद्वीप- एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका आदि।
सागर- अरब सागर, लाल सागर, काला सागर, कैस्पियन सागर आदि।
महासागर– प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक महासागर, अंध महासागर, अटलांटिक महासागर ।
No.7.अ,आ,आव,पा,पन,क,त्व,आवा तथा औड़ा से अंत होने वाली संख्याएं पुल्लिंग होती हैं।
जैसे–
अ– तेल, मेल, खेल, रेल, हार, तार आदि।
आ– लोटा, छोटा, सोटा, मोटा,जीरा, हीरा आदि।
आव– लगाव, ठहराव आदि।
पा– मोटापा, बुढ़ापा आदि।
पन– बचपन, अपनापन, लड़कपन आदि।
क– चमक, दमक, ठुमक, कसक आदि।
त्व– अपनत्व आदि।
औड़ा– मकौड़ा, हथौड़ा आदि।
No.8.कुछ आभूषणों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे -चूड़ी, बिंदी, कंघी, नथ, अंगूठी, पायल आदि।
लिंग की परिभाषा व भेद:-
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम:-
हिंदी भाषा में शब्दों के साथ विभिन्न प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में परिवर्तित किया जाता है।
१).‘अ‘ को ‘आ‘ करकेस्त्रीलिंग:-
जैसे-
भवदीय – भवदीया
छात्र – छात्रा
शिष्य – शिष्या
आचार्य – आचार्या
आत्मज – आत्मजा
२).‘अ‘/’आ‘ को ‘ई‘ करके-
बेटा – बेटी
मामा – मामी
नर – नारी
पुत्र – पुत्री
दादा – दादी
नाना – नानी
देव – देवी
बकरा – बकरी
सखा -सखी
चाचा – चाची
३). ‘अक को ‘इका‘ बनाकर-
गायक – गायिका
अध्यापक – अध्यापिका
बालक – बालिका
सेवक – सेविका
लेखक – लेखिका
शिक्षक – शिक्षिका
नायक – नायिका
सहायक – सहायिका
४). ‘अ‘/’आ‘ को ‘इया‘ करके-
चूहा – चुहिया
लोटा – लुटिया
डिब्बा – डिबिया
बंदर – बंदरिया
५). ‘इन‘ जोड़कर-
ग्वाला – ग्वालिन
कुम्हार – कुम्हारिन
नाग – नागिन
बाघ – बाघिन
माली – मालिन
सुनार – सुनारिन
लोहार – लुहारिन
६). ‘आइन‘ जोड़कर-
ठाकुर – ठकुराइन
गुरु – गुरुआइन
लाला – ललाइन
चौधरी – चौधराइन
बाबू – बबुआइन
हलवाई – हलवाइन
नाई- नाइन
७). ‘नी‘ जोड़ कर-
मोर – मोरनी
शेर – शेरनी
हाथी – हथिनी
ऊंट – ऊंटनी
रीछ – रीछनी
भील – भीलनी
हंस -हंसनी
भूत -भूतनी
जाट – जाटनी
८). ‘आनी‘ जोड़कर-
जेठ – जेठानी
सेठ – सेठानी
देवर – देवरानी
नौकर – नौकरानी
मेहतर – मेहतरानी
९). ‘वती‘ तथा ‘मती‘ जोड़कर-
बलवान – बलवती
श्रीमान – श्रीमती
गुणवान – गुणवती
धनवान – धनवती
शक्तिमान – शक्तिमती
बुद्धिमान – बुद्धिमती
१०). ‘ता‘ के स्थान पर ‘त्री‘ जोड़कर–
कवि – कवयित्री
अभिनेता – अभिनेत्री
नेता – नेत्री
दाता – दात्री
रचयिता -रचयित्री
११). ‘इनी‘ जोड़कर-
तेजस्वी – तेजस्विनी
स्वामी – स्वामिनी
तपस्वी – तपस्विनी
हंस – हंसिनी
सिंह – सिंहनी
भ्राता – भगिनी
राग – रागिनी
१२).हिंदी भाषा में बहुत से ऐसे शब्द है जिनका रूप लिंग परिवर्तन के साथ पूरी तरह बदल जाते हैं ।
जैसे –
पिता – माता
वर – वधू
पति – पत्नी
राजा – रानी
पुरुष – स्त्री
विद्वान – विदुषी
युवक- युवती
सम्राट – साम्राज्ञी
वीर – वीरांगना
राजा – रानी
बालक – बालिका
राजकुमार – राजकुमारी
दास – दासी