वाच्य की परिभाषा व प्रकार:- आज SSCGK आपसे वाच्य की परिभाषा व प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
इसे पहली पोस्ट में आप प्रत्यय की परिभाषा व उदाहरण के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
“क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।”
वाच्य का शाब्दिक अर्थ होता है-बोलने का विषय या बोलने योग्य। वाच्य से इस बात का पता चलता है कि वक्ताअपनी किसी बात को प्रकट करते हुए किस बिंदु पर जोर दे रहा है।
जैसे:-
कविता पाठ पढ़ रही है।
अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहा है।
उपरोक्त वाक्य में कविता कथा अध्यापक कर्ता है। इसलिए ये कर्तृवाच्य के उदाहरण हैं।
वाच्य तीन प्रकार के होते हैं:-
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
3.भाववाच्य
हिंदी में वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
- कर्तृवाच्य:-जिस वाक्य में क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से हो, तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
जैसे:-
अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहा है।
लता झूला झूल रही है।
कविता पाठ पढ़ रही है।
देव सुलेख लिख रहा है ।
मोहन खाना खा रहा है।
मुस्कान गीत गुनगुना रही है।
हरजीत चाय बना रहा है।
सुदेश खाना बना रही है।
राकेश बर्तन साफ कर रहा है।
ममता कपड़े धो रही है।
उपरोक्त वाक्य में अध्यापक, लता, कविता, देव, मोहन, मुस्कान, हरजीत, सुदेश, राकेश ,ममता आदि कर्ता शब्दों का सीधा संबंध क्रिया से है। इसीलिए ये सब कर्तृवाच्य के उदाहरण हैं।
वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
- कर्मवाच्य:-जिस वाक्य में प्रिया का सीधा संबंध कर्म से हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं ।इसमें वाक्य के उद्देश्य कर्म होता है और मुख्य क्रिया सकर्मक होती है।.
जैसे:-
सुदेश द्वारा दूध पीया जाएगा।
ममता द्वारा कहानी पढ़ी गई।
शीला द्वारा चाय पी जा रही है।
गीता द्वारा कपड़े धोए जा रहे हैं।
मोहन से पतंग उड़ाई जा रही है।
तनु द्वारा पाती लिखी गयी।
रोशनी द्वारा गीत सुनाया गया।
अध्यापक द्वारा बच्चों को पढ़ाया गया।
खुशी द्वारा गाना गाया गया।
किसान द्वारा फसल काटी जा रही है।
मयंक द्वारा फूल तोड़े जाएंगे।
जिया द्वारा सुलेख लिखा जाएगा।
लक्षिता द्वारा पत्र लिखा जाता है।
रजिया द्वारा फल काटे जाएंगे।
उपरोक्त वाक्यों में क्रिया का सीधा संबंध कर्म से है । इसीलिए ये सभी कर्मवाच्य के उदाहरण हैं।
वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
- भाववाच्य:-जिस वाक्य में क्रिया का भाव ही प्रधान हो, उसे भाववाच्य कहते हैं।
जैसे:-
बच्चों से खेला जाएगा ।
शुभम से दौड़ा जाएगा।
राधा से खेला नहीं जाता।
ममता से रोया नहीं जाता।
रोशनी से नाचा नहीं जाता।
उपरोक्त वाक्यों में क्रिया का भाव ही प्रधान है |इसी कारण ये सभी भाववाच्य के उदाहरण हैं।
वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन:-
- कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना
- कर्मवाच्य से भाववाच्य बनाना
- भाववाच्य से कर्मवाच्य बनाना
- कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-कर्तृवाच्य से कर्म वाच्य बनाते समय कर्ता के साथ करण करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘द्वारा’ लगाई जाती है।
जैसे :-
कर्तृवाच्य – कर्मवाच्य
मैंने पाठ पढ़ा – मुझसे पाठ पढ़ा गया।
पिता ने पुत्र को नहलाया -पिता द्वारा पुत्र को नहलाया गया।
मजदूर फसल काटेंगे -मजदूरों द्वारा फसल काटी जाएगी।
राधा खाना बनाती है -राधा दोबारा खाना बनाया जाता है।
राकेश पाठ पढ़ेगा -राकेश से पाठ पढ़ा जाएगा।
वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
2.कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना:-कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय कर्ता के साथ करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’ लगाई जाती है। जैसे:-
कर्तृवाच्य भाववाच्य
पक्षी आकाश में उड़ते हैं -पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है ।
बच्चे खेलते हैं -बच्चों द्वारा खेला जाता है।
राधा नाचती है -राधा द्वारा नाचा जाता है ।
धनुका रोती है -धनुका से रोया जाता है।
वंशिका सोती है -वंशिका से सोया जाता है।
लक्षिता हंसती है -लक्षिता द्वारा हंसा जाता है।
देव जागता है -देव से जागा जाता है।
कमलेश सर्दियों में नहीं नहाती -कमलेश द्वारा सर्दियों में नहीं नहाया जाता।
दीपू हंसती है – दीपू से हंसा जाता है।
तमन्ना तेज दौड़ती है -तमन्ना से तेज दौड़ा जाता है।
वाच्य की परिभाषा व प्रकार:-
- कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना-कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाते समय करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’ हटा दी जाती है।
जैसे-
कर्मवाच्य या भाववाच्य – कर्तृवाच्य
सुमन से चला नहीं जाता -सुमन चल नहीं सकती।
गीता से उठा नहीं जाता -गीता उठ नहीं सकती।
बूढ़ों से कुश्ती नहीं खेली जाती -बूढ़े कुश्ती नहीं खेल सकते।
नीता से खाना नहीं पकाया जाता -नीता खाना नहीं पकाती।
रौनक द्वारा पुस्तक लिखी जाएगी-रौनक पुस्तक लिखेगी।
सुरेश से बैठा नहीं जाता -सुरेश बैठ नहीं सकता।
रिया से नाचा नहीं जाता -रिया नाच नहीं सकती।
आओ, अब चला जाए -आओ, अब चलें।