विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार

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विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार
विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:- आज SSCGK आपसे विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे पहले पोस्ट में आप छंद की परिभाषा व प्रकार के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-

हिंदी भाषा में विराम का अर्थ है रुकना या ठहराव।  बोलते या लिखते समय अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए हमें बीच-बीच में थोड़ा रुकना पड़ता है। जहां पर भी हम वाक्य बोलते समय बीच-बीच में रुकते हैं वहां विराम चिह्नों का प्रयोग करते हैं।

 

किसी भी भाषा में वाक्य लिखते समय विराम या ठहराव को प्रकट करने के लिए जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें ही विराम चिह्न कहते हैं।”

जैसे:-

देव पुस्तक पढ़ रहा है।

हरजीत गाना गा रहा है।

शहर से कौन आने वाला है?

अरे! रौनक भी आई है !

 

हिंदी भाषा में विराम चिह्न का प्रयोग:-

 

भाषा में वाक्य रचना करते समय यदि विराम चिह्न का प्रयोग न किया जाए ,तो वाक्य अर्थहीन हो जाता है या फिर उसका अर्थ ही उल्टा हो जाता है।

जैसे:-

1.रोशनी को रोको मत जाने दो।

2.रोशनी को रोको, मत जाने दो।

उपरोक्त वाक्य में रोशनी को न जाने देने की बात हो रही है।

3.रोशनी को रोको मत, जाने दो।

उपरोक्त वाक्य में रोशनी को जाने देने की बात हो रही है।

एकमात्र विराम चिह्न ( , ) ने दोनों वाक्यों का अर्थ बदल कर रख दिया। इसलिए भाषा में विराम चिन्ह का प्रयोग अनिवार्य है।

 

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-

 

विराम चिन्ह के प्रकार:-

1.-अल्पविराम( , )

2.-अर्ध विराम( ; )

3.-पूर्ण विराम(।)

4.-प्रश्नवाचक चिह्न(?)

5.-योजक चिह्न(-)

6.-उद्धरण चिह्न( ” “)

7.- विस्मयादिबोधक चिह्न(!)

8.-उप विराम(:)

9.-लाघव चिह्न(०)

10.-विवरण चिह्न(:-)

11.- कोष्ठक चिह्न ( )

12.-रेखांकन चिह्न(_)

 

1.-अल्पविराम:-वाक्य लिखते समय जहां थोड़ी देर रुकना पड़ेगा वहां अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

मैंने भारत के खेत, नदी, झरने, इमारतें आदि चीजें देखी हैं।

मुनेश, कविता, बबीता, सुनीता, ललिता और राधिका मेला देखने शहर गईं।

 

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-

 

2.-अर्ध विराम:- किसी वाक्य को लिखते समय जहां अल्पविराम की तुलना में अधिक देर तक रुकना पड़े, वहां अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

सूर्योदय का समय हो गया; कालिमा का स्थान लालिमा ने ले लिया ।

सूर्योदय हो गया; पक्षी चहचहाने लगे और कमल खिल गए।

 

3.-पूर्ण विराम:–जब कोई वाक्य संपूर्ण/समाप्त हो जाता है, तब पूर्ण विराम लगाया जाता है।

जैसे:-

अमित ने अपना काम पूरा कर लिया।

लक्षिता स्कूल जाती है।

धनुका खाना बनाती है।

गीता एक पवित्र पुस्तक है।

 

4.-प्रश्नवाचक चिह्न:-प्रश्नवाचक  के अंत में अंत में प्रश्नवाचक का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

राम के कपड़े किसने फाड़े?

हरजीत का हुक्का किसने तोड़ा?

हमारे खेत से खरबूजे किसने तोड़े?

 

5.-योजक चिह्न:-योजक चिह्न का प्रयोग समस्त पदों के मध्य/बीच में किया जाता है।

जैसे:-

दिन-रात

लाभ-हानि

सुख-दु:ख

मान-मर्यादा।

 

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-

 

6.-उद्धरण चिह्न:-किसी व्यक्ति द्वारा कहीं गई बात को प्रकट करने के लिए उद्धरण  चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

बृजेश ने कहा, “हमेशा कर्म की ही जीत होती है।”

रामफल ने कहा, “सत्य बोलना सबसे बड़ा धर्म है।”

 

7.-विस्मयादिबोधक चिह्न:-हर्ष, विषाद, भय, आश्चर्य,  शोक, घृणा आदि भावों को प्रकट करने के लिए वाक्य में विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

वाह ! कितना सुंदर दृश्य है।

आह! कितना सुहावना मौसम है।

छि छि ! कितना गंदा बच्चा है।

 

8.-उप विराम:-वाक्य में जब किसी कथन को अलग दिखाना हो, तो वहां उप विराम का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

विज्ञान: वरदान या अभिशाप

प्रदूषण: एक अभिशाप

 

9.-लाघव चिह्न:-वाक्य में किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उस अक्षर का पहला अक्षर लिख कर उसके आगे सुनने लगा देते हैं, यही लाघव चिह्न कहलाता है।

जैसे-

पंडित के लिए-पं०

डॉक्टर के लिए-डॉ०

 

विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-

 

10.-विवरण चिह्न:-विवरण चिह्न (:-) का प्रयोग वाक्य के बारे में कुछ सूचना आदि देने के लिए किया जाता है |

जैसे:-

सर्वनाम के 6 भेद होते हैं:-

आम के निम्नलिखित फायदे हैं:-

 

11.-कोष्ठक चिह्न:-कोष्ठक चिह्न का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।

जैसे :-धर्मराज( युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के रक्षक थे।

ऋषि (क्रोध में कांपते हुए) ठहर जा।

 

12.-रेखांकन चिह्न:-वाक्य में महत्वपूर्ण शब्द, पद आदि को रेखांकित करने के लिए रेखांकन चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को वट_ वृक्ष_ के नीचे गीता का उपदेश दिया था।