विसर्ग संधि की परिभाषा नियम व उदाहरण:-
आज SSCGK आपसे विसर्ग संधि की परिभाषा नियम व उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। पिछली पोस्ट में आप व्यंजन संधि की परिभाषा व नियम के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
विसर्ग संधि की परिभाषा नियम व उदाहरण:-
विसर्ग का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
जैसे:-
मन: + कामना = मनोकामना
पर: + उपकार = परोपकार
मन: + स्थिति = मनोस्थिति
दु: + व्यवहार = दुर्व्यवहार
अंत: + राष्ट्रीय = अंतरराष्ट्रीय
मन :+ रथ = मनोरथ
विसर्ग संधि के नियम:-
नियम 1. यदि विसर्ग से पहले और बाद में दोनों ओर ‘अ‘ होने पर विसर्ग ‘ओ‘ में बदल जाते हैं।
जैसे:-
यश: + अभिलाषा =यशोऽभिलाषा
मन: + अनुकूल =मनोऽनुकूल
नियम 2. विसर्ग से पहले ‘अ‘ तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवा वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो, विसर्ग को ‘ओ‘ हो जाता है।
जैसे:-
मन: + रंजन =मनोरंजन
मन: + ज = मनोज
पय: + द = पयोध
पय: + धर =पयोधर
मन: + रथ =मनोरथ
मन: + हर =मनोहर
वय: + वृद्ध=वयोवृद्ध
मन: + योग=मनोयोग
तपः + भूमि =तपोभूमि
यशः + मति =यशोमति
तेज: + मय =तेजोमय
मन: + विकार =मनोविकार
सर: + वर =सरोवर
मन: + साधना =मनोसाधना
नियम 3. यदि विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई स्वर या किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई भी वर्ण हो तो विसर्ग को ‘र्‘ हो जाता है।
जैसे:-
नि: + झर =निर्झर
नि: + जन =निर्जन
दु: + उपयोग =दुरुपयोग
नि: + आश्रित =निराश्रित
पुन: + जन्म =पुनर्जन्म
नि: + आकार =निराकार
दु: + आशा =दुराशा
निः + रज =नीरज
धि: + रज = धीरज
निः + रोग =नीरोग
पुन: + निर्माण =पुनर्निर्माण
विसर्ग संधि के नियम व उदाहरण:-
नियम 4. यदि विसर्ग के बाद च, छ हो तो विसर्ग को ‘श‘, ट, ठ हो तो ‘ष‘ तथा त, थ हो तो ‘स्‘ में परिवर्तित हो जाता है।
जैसे:-
इत: + तत:=इतस्तत:
नि: + चय =निश्चय
नमः + ते =नमस्ते
हरि: + चंद्र =हरिश्चंद्र
धनु: + टंकार =धनुष्टंकार
अतः + एव = अतएव
दु :+ चरित्र =दुश्चरित्र
मन: + ताप =मनस्ताप
दु: + तर =दुस्तर
नि: + छल =निश्चल
नियम 5. यदि नि: तथा दु: के बाद क, ख या प, फ हो तो इनके विसर्ग को ‘ष्‘ हो जाता है।
जैसे:-
दु: + कर =दुष्कर
नि: + कपट =निष्कपट
दु: + काल =दुष्काल
दु: + प्रभाव =दुष्प्रभाव
नि: + कलंक =निष्कलंक
नि: + पाप =निष्पाप
दु: + प्राप्य =दुष्प्राप्य
नियम 6. यदि विसर्ग के बाद श, स हो तो विसर्ग को क्रमश: ‘श्‘ ,’स्‘ ही हो जाता है।
जैसे:-
दु: + शील =दुश्शील
नि: + संदेह =निस्संदेह
दु: + साहस=दुस्साहस
नि: + सार =निस्सार
दु: + शासन =दुश्शासन
नियम 7. यदि विसर्ग से पहले ‘अ‘तथा बाद में या के अतिरिक्त कोई स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है और फिर उन अक्षरों में संधि नहीं होती।
जैसे:-
तत: + एव= तथैव
अत: + एव= अतएव
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