वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें-आज इस आर्टिकल में SSCGK आपसे वायुमंडल की परिभाषा व उसकी परतें के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे| इससे पहले आर्टिकल में आप भारत के प्रमुख जलप्रपात के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें-
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि हमारी इस पृथ्वी पर अनेक प्रकार की गैसें(नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसें) पाई जाती हैं। हमारी इस पृथ्वी के चारों ओर फैला हुआ विभिन्न गैसों का जो आवरण विद्यमान है, उसी आवरण को वायुमंडल कहते हैं। यह मुख्य रूप से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का बना हुआ है। इस वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, ऑर्गन 0.93% है तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अन्य गैसें विद्यमान हैं। इसमें जलवाष्प धूल के कण, लवण व धुंआ आदि मौजूद है। वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन सभी जीवों की बढ़ोतरी के लिए तथा ऑक्सीजन सांस लेने के लिए आवश्यक है।
वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें-
वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड गैस ऊष्मा को सोख लेती है और इसे वापस अंतरिक्ष में जाने नहीं देती है। यह पेड़ पौधों के लिए भी बहुत जरूरी है। पेड़ पौधे भोजन बनाने के लिए सूर्य की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का इस्तेमाल करते हैं और ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण के नाम से जाना जाता है।
जैसे-जैसे वायुमंडल की ऊंचाई बढ़ती है, हवा का दबाव भी कम होता जाता है। अर्थात जैसे जैसे हम धरती से वायुमंडल में ऊपर की ओर जाते हैं वहां पर हल्की गैसे पाई जाती हैं और दबाव वायुदाब भी कम होता जाता है। इसके अतिरिक्त जैसे-जैसे हम ऊपर उठते हैं, तापमान भी तेजी से गिरने लगता है।
पवन क्या होती है?
गतिशील अर्थात बहती हुई वायु को ही पवन कहते हैं। वायु हमेंशा अधिक वायुदाब वाले स्थान से कम वायुदाब
वाले स्थान की ओर बहती है।
पृथ्वी के चारों तरफ फैले वायुमंडल को पांच भागों/परतों में बांटा गया है। इसकी ऊंचाई 10000 किलोमीटर मानी गई है।
तापमान और अन्य घटकों के आधार पर वायुमंडल को 5 परतों में बांटा गया है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
Vayumandal ki Paribhasha evm Uski Parte:-
No.1. क्षोभ मंडल
No.2. समताप मंडल
No.3. मध्य मंडल
No.4. आयन मंडल
No.5. बहिर्मंडल/बाह्य मंडल
Vayumandal ki Paribhasha evm Uski Parte for ssc exams:-
No.1. क्षोभ मंडल(Troposphere)-क्षोभ मंडल वायु मंडल की सबसे महत्वपूर्ण परत है। इसकी औसत ऊंचाई
12 किलोमीटर है। इस मंडल की विषुवत रेखा पर ऊंचाई 18 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 8 किलोमीटर है। इस परत में
मौसम संबंधित सारी घटनाएं होती हैं जैसे- बादल,आकाशीय बिजली का कड़कना,वर्षा ,ओलावृष्टि, कोहरा, धुंध आदि।
वायुमंडल में जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर उठते जाते हैं तापमान गिरने लगता है। हर 165 किलोमीटर की ऊंचाई पर
जाने पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान गिर जाता है अर्थात कम हो जाता है।
No.2. समताप मंडल(Stratosphere)-जैसा कि इस मंडल के नाम से ही स्पष्ट है, समान ताप वाला मंडल। इस मंडल
का तापमान ना कम होता है, ना ज्यादा होता है अर्थात हमेंशा एक समान रहता है। ना ही इसमें कोई भी मौसमी संबंधी घटना
होती है। इस मंडल की औसत ऊंचाई 12 किलोमीटर से 50 किलोमीटर तक मानी गई है। ओजोन परत पृथ्वी की सतह से
15 कि.मी. से 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर समताप मंडल के भीतर स्थित होती हैं। वायुमंडल की यह परत कैंसरजन्य
सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोक देती है। इसी परत में वायुयान उड़ाने की अनुकूल परिस्थितियां होती हैं।
वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें:-
No.3. मध्य मंडल(Mesosphere)-समताप मंडल के ऊपर तक फैली वायुमंडल की परत की ऊंचाई 50 किलोमीटर
से 80 किलोमीटर तक मानी गई है। अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले उल्का पिंड इसी मंडल में आकर घर्षण के कारण जलकर नष्ट हो जाते हैं।
No.4. आयन मंडल(Thermosphere)-मध्य मंडल के ऊपर फैली वायुमंडल की इस परत की औसत ऊंचाई
80 किलोमीटर से 400 किलोमीटर तक मानी गई है। यह परत विद्युत आवेशित परत है और यह सौर विकिरण और
उपस्थित रसायनों के संपर्क के कारण उत्पन्न होती हैं । इन विद्युत आवेशित कणों को आयन कहते हैं ये विद्युत
आवेशित कण रेडियो धरती से प्रसारित होने वाली रेडियो तरंगों को वापिस लौटा देते हैं। अर्थात धरती से प्रसारित होने
वाली रेडियो तरंगे इसी आयन मंडल से टकराकर धरती पर वापिस आ जाती हैं। इसी मंडल के कारण हमारे रेडियो
मोबाइल फोन टेलीविजन और रडार सुचारू रूप से कार्य करते हैं। इस मंडल का आयतन बहुत अधिक है, लेकिन
इसमें वायु की मात्रा बहुत ही कम है। इसी मंडल के कारण ही ध्रुवों के आसमान में रंगीन और चमकदार लाइट्स
दिखाई देती हैं। इन्हें Aurora Australis एवं Aurora Borealis कहते हैं।
वायुमंडल की परिभाषा एवं उसकी परतें:-
No.5. बहिर्मंडल/बाह्य मंडल(Exosphere)-बाह्य मंडल आयन मंडल के ऊपर चारों तरफ दूर तक फैला हुआ मंडल है।
इसकी ऊंचाई 400 किलोमीटर से 10,000 किलोमीटर मानी गई है बहिर्मंडल में हाइड्रोजन और हीलियम जैसी हल्की गैसे पाई जाती हैं।