सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना - SSC GK

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना

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सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना
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सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:- इस आर्टिकल में आज SSCGK आपसे सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे पहले आर्टिकल में आप दिन रात का बनना के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:-

जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। यह प्राकृतिक रूप से घटित होती है। सौर परिवार के सभी गृह एवं उपग्रह अपनी अपनी नियत कक्षाओं में अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा करने में लगे रहते हैं। सभी ग्रहों एवं उपग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमा काल भिन्न भिन्न होता है।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:-

आप यह प्रश्न उठता है कि सूर्य ग्रहण किस कारण से होता है?

इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से इस बारे में बताएंगे। हम सभी यह भलीभांति जानते हैं कि सौर परिवार में सभी ग्रह एवं उपग्रह अपने अपने निश्चित कक्षाओं में अपने अक्ष पर घूमने की अतिरिक्त सूर्य की परिक्रमा करने में लगे रहते हैं। हमारी पृथ्वी भी अपने अक्ष पर घूमने के साथ साथ सूर्य की परिक्रमा करती है। चंद्रमा हमारे पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह अपने अक्ष पर घूमने के साथ साथ पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है।

Solar Eclipse a Natural Event:-

पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, तब चंद्रमा के पीछे सूर्य का कुछ समय के लिए सूर्य ढ़क जाता है। उस समय सूर्य ग्रहण होता है। चंद्रमा के बीच में आ जाने के कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता और और पृथ्वी के कुछ भाग पर हल्का अंधेरा छा जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण का नाम दिया जाता है। सूर्य ग्रहण हमेंशा अमावस्या के दिन ही होता है। यह सिर्फ एक बार प्राकृतिक घटना ही होती है।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:-

सूर्य ग्रहण के प्रकार (Types of solar eclipse):-

यह ग्रहण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

No.1. पूर्ण सूर्य ग्रहण

No.2. आंशिक सूर्य ग्रहण

No.3. वलयाकार सूर्य ग्रहण

No.1.  पूर्ण सूर्य ग्रहण:- पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान जब चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत पास में रहते हुए
सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में आ जाता है तथा चन्द्रमा पृथ्वी को पूरी तरह से अपनी परछाई से ढक लेता है, तो
उस समय पूर्ण सूर्य ग्रहण  होता है| इस प्रकार  पृथ्वी तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है और परिणाम
स्वरूप पृथ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है|उस समय पृथ्वी पर से पूरा सूरज दिखाई नहीं
देता। इस स्थिति में जो ग्रहण बनता है, वह पूर्ण सूर्य ग्रहणक कहलाता है।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना-

No.2. आंशिक सूर्य ग्रहण:- पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस
प्रकार आ जाता है कि सूर्य का कुछ भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है,तो वह आंशिक सूर्यग्रहण कहलाता है|
सूर्य के केवल कुछ भाग को ही चंद्रमा अपनी परछाई में ले पाता है। ऐसी स्थिति में सूर्य का कुछ भाग ग्रहण
से अप्रभावित रहता है तथा सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में रहता हैं| सूर्य के चंद्रमा द्वारा ढके हुए उस भाग
में लगने वाले ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते है।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:-

No.3. वलयाकार सूर्य ग्रहण:- पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान जब चन्द्रमा पृथ्वी से काफ़ी दूर रहते
हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, तो उस समय वलयाकार सूर्य ग्रहण होता है| इस स्थिति में सूर्य
का मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में रहता है|चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता है, बल्कि पृथ्वी
से देखने पर सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशमान दिखाई देता है तथा सूर्य वलयकार या कंगन के रूप में
चमकता दिखाई देता है।इस तरह से एक कंगन या रिंग के आकार में बने सूर्यग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।

खगोल शास्त्रियों का मत -खगोलशास्त्रियों के मत के अनुसार अट्ठारह वर्ष तथा अट्ठारह दिन की समय
की अवधि में 41 सूर्य ग्रहण होते हैं तथा 29 चन्द्रग्रहण हो सकते हैं। एक वर्ष की समयावधि में पांच सूर्यग्रहण
और दो चन्द्रग्रहण हो सकते हैं।18 वर्ष तथा 11 दिन का समय बीत जाने पर प्रत्येक ग्रहण पुन: होता है। किन्तु
यह निश्चित नहीं हैं, कि वह अपने पहले के स्थान में ही हो।

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:

वैज्ञानिकों का मत:-सन 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक नें  सूर्य ग्रहण के समय की गई खोज के माध्यम
से सूर्य पर हीलियम गैस की उपस्थिति का, वर्ण मंडल में पता लगाया था। संपूर्ण सूर्य ग्रहण की वास्तविक अवधि
अधिक से अधिक 11 मिनट तक ही हो सकती है, इससे ज्यादा नहीं हो सकती।सूर्य ग्रहण अधिकतम 250 किलो
मीटर चौड़े तथा दस हजार किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में ही देखा जा सकता है।

सूर्य ग्रहण क्यों होता है:-

ग्रहण के दौरान के समय में ही वैज्ञानिकों को नये-नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है तथा ग्रहण ही
वह समय होता है, जब ब्राह्मंड के अंदर अनेक प्रकार की अद्भुत एवं विलक्षण घटनाएं घटित होतीं हैं|

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना:-

पौराणिक काल में सूर्यग्रहण :-पूर्व वैदिक काल में भी खगोलीय संरचना पर आधारित कलैंडर बनाने की
आवश्यकता अनुभव की गई थी। ऋग्वेद में मिले उल्लेख के अनुसार अत्रि ऋषि के परिवार के पास यह ज्ञान
उपलब्ध था। इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि ग्रहण का ज्ञान को देने वाले महर्षि अत्रि प्रथम आचार्य थे।

Jagminder Singh

My name is Jagminder Singh and I like to share knowledge and help.

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