ऋतु परिवर्तन कैसे होता है:-इस आर्टिकल में SSCGK आज आपसे ऋतु परिवर्तन कैसे होता है के बारे में विस्तार से समझाएंगे। इससे पहले आर्टिकल में आप दिन रात कैसे बनते हैं के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
ऋतु परिवर्तन कैसे होता है:-
जैसे कि अपनी जानते ही हैं कि हम हमारी पृथ्वी सोलर परिवार का एक हिस्सा है। पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है। यह अपने अक्ष पर 23½°के कोण पर झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर घूमने के साथ साथ एक अंडाकार मार्ग पर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रही है। यह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा 1 साल में पूरा करती है। इस दौरान यह 1690 किलोमीटर प्रति घंटा की दर से घूमते हुए 96.6 करोड किलोमीटर की दूरी तय करती है।
Ritu Privartan Kaise hota hai:-
No.1.-यह बात स्पष्ट है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23½° के कोण झुकी हुई है। यही झुकाव सूर्य की पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली किरणों को भी प्रभावित करता है। इसी कारण से पृथ्वी का एक गोलार्द्ध 6 मास तक सूर्य की ओर झुका रहता है, जबकि अगले 6 मास तक पृथ्वी का दूसरा गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका रहता है। इस प्रकार यह क्रम निरंतर चलता रहता है। इसके परिणाम स्वरूप ही ऋतुएं बनती हैं। प्रमुख ऋतुओं के नाम इस प्रकार हैं:-ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शीत, और वसंत ऋतु।
पृथ्वी के अपने कक्षा तल पर 23½° के कोण पर झुकी हुई है और किसी झुकाव के कारण एक ही समय में उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में भिन्न-भिन्न ऋतुएं होती हैं। जब उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की ऋतु होती है तो दक्षिणी गोलार्ध में भयंकर गर्मी पड़ रही होती है। और इसी प्रकार जब उत्तरी गोलार्ध में गर्मी की ऋतु होती है उस समय दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी की ऋतु होती है।
ऋतु परिवर्तन कैसे होता है:-
No.2.-पृथ्वी की विशेष आकृति भी ऋतु परिवर्तन का एक अन्य कारण है। हम जानते हैं की भूमध्य रेखा पर
जो कि पृथ्वी के मध्य में मानी गई एक कल्पित 0° अक्षांश रेखा है। भूमध्य रेखा पर सारा साल सूर्य की किरणें
सीधी पड़ती हैं, इसी कारण वहां पर सारा साल गर्मी रहती है। लेकिन जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा के ध्रुवों की
ओर जाते हैं तापमान में गिरावट आने लगती है और ध्रुव पर पहुंचते ही यह गर्मी समाप्त हो जाती है अर्थात वहां
तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। वहां हर समय बर्फ जमी रहती है और कड़ाके की ठंड पड़ती है।
No.3.-पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना निरंतर बहने वाली पवनों और जलधाराओं की दिशाओं का भी निर्धारण
करता है। यह दोनों बातें भी मौसम को प्रभावित करती हैं और ऋतु परिवर्तन में योगदान देती हैं।
ऋतु परिवर्तन कैसे होता है:-
ऋतु परिवर्तन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:-
No.1.-सूर्य की किरणें 21 मार्च को भूमध्य रेखा पर लंबवत पड़ती हैं। इस दिन पूरे संसार में दिन रात बराबर
होते हैं।इस दौरान सूर्य की किरणें दोनों गोलार्द्धों पर समान रूप से पड़ती हैं। इस समय उत्तरी गोलार्ध में बसंत
ऋतु जबकि दक्षिणी गोलार्ध में पतझड़ की ऋतु होती है।
No.2.-21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती है। इस समय सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध में
सीधी पड़ती हैं जबकि दक्षिणी गोलार्ध में तिरछी पढ़ती हैं। इसी कारण इस समय उत्तरी गोलार्ध में गर्मी की ऋतु
होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में
सर्दी की ऋतु होती है।
No.3.-23 सितंबर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लंबवत पढ़ती हैं। इस दिन भी पूरे संसार में दिन रात बराबर
होते हैं। इस दौरान दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी की ऋतु होती है।
ऋतु परिवर्तन कैसे होता है:-
No.4.-सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को मकर रेखा पर लंबवत पड़ती है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन होने लगता है।
इस समय सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध में तिरछी पढ़ती हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में सीधी पड़ती है। इसी कारण
इस समय उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की ऋतु जबकि दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी की ऋतु होती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी आपकी ज्ञान वर्धन में सहायक सिद्ध होगी।
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