बच्चा और बचपन की अवधारणा

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बच्चा और बचपन की अवधारणा
बच्चा और बचपन की अवधारणा

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-इस आर्टिकल में आज SSCGK आपसे बच्चा और बचपन की अवधारणा नामक विषय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे इससे पहले भी आर्टिकल में आप शिक्षण की वैज्ञानिक विधि के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-

अर्थ व परिभाषा-सामान्य रूप से मनोवैज्ञानिकों ने लगभग 6 से 12 वर्ष के बीच की आयु को बाल्यावस्था या बचपन  माना है। इस अवस्था में बालक के जीवन में स्थायित्व आने लगता है और वह आगे आने वाले जीवन की तैयारी करता है।

हरलॉक के अनुसार,”बाल्यावस्था 6 वर्ष की आयु से लेकर यौवनारंभ होने तक 11 और 12 वर्षों के बीच होती है।”

इससे स्पष्ट है कि बचपन 6 वर्ष से 12 वर्ष की आयु को माना जाता है। जैविक परिभाषा के अनुसार, जन्म से लेकर किशोरावस्था के बीच का जो समय है, उसे बाल्यावस्था कहते हैं। उस समय के दौरान बालक की जो अवस्था है उसे दूसरे शब्दों में ‘बच्चा’ कहा कहा जाता है और उसकी जीने की शैली को ‘बचपन’ कहते हैं।

कानूनी परिभाषा के अनुसार, वह व्यक्ति  जिसकी आयु प्रौढ़ावस्था से कम होती है, उसे बच्चा कहा जाता है।

Child and childhood Avdharna:-

वर्तमान में विभिन्न कानून एवं पॉलिसी के अनुसार बचपन की उम्र सीमा 14 वर्ष से कम है। नेशनल पॉलिसी फॉर
चिल्ड्रन 2013 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति बच्चा कहलाता है।

उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि बाल्यवस्था 6 वर्ष से 12 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में बालक में अनेक परिवर्तन
होते हैं। शिक्षा शुरू करने के लिए यह आयु सबसे उपयुक्त है। इसलिए शिक्षाशास्त्रियों ने ही से प्रारंभिक विद्यालय की आयु कहा है।

बाल्यावस्था में बच्चे को जीवन के आधारभूत मूल्यों की अवधारणा अपने परिवार से ही मिलती है।पहले
बालक की संस्कारी ताकि सभी जिम्मेदारियां परिवार के सदस्यों की होती हैं।इस आयु में बच्चे की परवरिश
बहुत ही अच्छी तरह से करनी पड़ती है और उसका ख्याल भी रखना पड़ता है।

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-

बाल्यवस्था ने बच्चे को जीवन के मूल्यों को  समझाने व उसके विकास में योगदान का अगला चरण शिक्षक
और विद्यालय से जुड़ा होता है। सभी माता-पिता परिवार के सदस्य एवं शिक्षक सभी अपने बच्चे के बचपन
में होते हुए विकास के बारे में बहुत ख्याल रखते हैं। परंतु फिर भी बाल्यावस्था में बच्चे को विभिन्न अवस्थाओं
एवं परिस्थितियों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।बच्चों को उनके बचपन में नीचे दी गई विभिन्न
समस्याओं का सामना करना पड़ता है-

नं.1.-मनोवैज्ञानिक

नं.2.-मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या

नं.3.-सांस्कृतिक- सामाजिक

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-

नं.1. मनोवैज्ञानिक- बालकों के लिए स्कूल एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। जहां वे न केवल स्वयं बल्कि
आसपास की दुनिया से भी परिचित होते हैं। यह एक ऐसा स्थान होता है, जहां वे अपने सहपाठियों वह
अपने शिक्षकों से कुछ ना कुछ सीख सकते हैं और खुद को अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करते हैं।
बचपन में बालकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये मनोवैज्ञानिक समस्याएं सांवेगिक,
व्यावहारिक या अधिगम से संबंधित होती हैं। बालक पतले होते हुए भी महसूस करते हैं कि वे मोटे हैं।
अपनी इसी आशंका के कारण भी खाना पीना छोड़ देते हैं।

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-

नं.2.-मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या-बचपन में कुछ बालकों को मादक द्रव्यों के सेवन करने की लत
लग जाती है। ऐसे बालक घर में अकेले रहना पसंद करते हैं। वे अपने घर का दरवाजा बंद रखना पसंद करते
हैं। वे सब गलत काम चोरी छुपे करते हैं। उन्हें भूख बहुत ही कम लगती है। ऐसे बालक अत्यंत बीमार एवं मंच
से बहुत दुखी रहते हैं।

नं.3. सांस्कृतिक-सामाजिक-समाज बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनुष्य के विकास में
समाज एवं संस्कृति का अहम योगदान होता है। कभी-कभी बाल अवस्था में भी बच्चे को इन सामाजिक एवं
सांस्कृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो कि नकारात्मक विचारों से ग्रसित अवधारणा होती है।

बच्चा और बचपन की अवधारणा:-

(1). उपेक्षित वर्ग-इस वर्ग में आने वाले बालक सामाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक रूप से पिछड़े होते हैं।
जैसे बालक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बालक व बालिका आदि। ऐसी बालक वंचित एवं गरीब परिवार
से आते हैं।इसलिए उनकी स्कूल के प्रति मनोवृति बहुत नकारात्मक होती है। इनकी संवेदात्मक समस्याएं
बहुत गंभीर होती हैं।इन बालकों में साधारण आकांक्षा होती है व हीन भावना पाई जाती है। ऐसे बालक की
भाषा बहुत ही अस्पष्ट होती है। इसलिए समाज के अच्छे बच्चे उनसे दूरी बना लेते हैं।

(2). लिंग दृष्टिकोण-इस वर्ग में आने वाले बालकों की समस्या लिंगभेद पर आधारित होती हैं। इन बालकों
में खान पान रहन सहन या रीति रिवाज के भेद लिंग पर आधारित होते हैं।

आशा करते हैं कि हमारे द्वारा आपके लिए उपलब्ध करवाई गई शिक्षण सामग्री आपके ज्ञानवर्धन में सहायक
सिद्ध होगी। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी तो लाइक अवश्य करें।