Geography

जल चक्र क्या है

जल चक्र क्या है:-इस आर्टिकल में आज SSCGK आपको जल चक्र क्या है नामक विषय के बारे में विस्तार से बताएंगे। इससे पहले आर्टिकल में आप ऋतु परिवर्तन कैसे होता है के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

जल चक्र क्या है:-

हमारा ग्रह पृथ्वी एक जलीय ग्रह है। इसके 71.7% भाग पर जल पाया जाता है। यहां इस ग्रह पर जल तीन अवस्थाओं में पाया जाता है-ठोस, द्रव और गैस। पानी सूर्य की गर्मी पाकर वाष्प के रूप में भाप बनकर निरंतर उड़ता रहता है और वायुमंडल में अधिक ऊंचाई पर जा कर, यह ठंडा होकर बादलों का रूप धारण कर लेता है और जब ये बादल जल के कारण भारी हो जाते हैं, तो जल की बूंदों के रूप में धरती पर बरस पड़ते हैं। इस प्रकार जल की इस प्रक्रिया को जल चक्र कहते हैं।यह जल चक्र की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। यह कभी नहीं रुकती है।

Jhal Chakkra kya hai:-

अधिक ऊंचाई वाले स्थानों जैसे ऊंचे ऊंचे पर्वतों की चोटियों पर यह जल बर्फ के रूप में जमा हुआ दिखाई देता है। कहीं पर यह बड़े-बड़े सागरो, नदियों एवं झीलों से भाप के रूप में ऊपर की ओर उठता हुआ दिखाई देता है, तो कहीं पर यह जल की बूंदों के रूप में आसमान से बरसता हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार चल अपनी स्थिति बदलते हुए निरंतर चलता रहता है। इस प्रक्रिया को ही जल चक्र कहा जाता है।

जल चक्र की इस प्रक्रिया को 6 भागों में बांटा जा सकता है:-

जल चक्र क्या है:-

No.1. वाष्पीकरण

No.2. द्रवण

No.3. वर्षण

No.4. अंतः स्यंदन

No.5. अपवाह

No.6. संग्रहण

No.1. वाष्पीकरण- समुद्रों, नदियों, झीलों, तालाबों एवं नालों जल का वाष्प में बदलना ही वाष्पीकरण कहलाता है।

No.2. द्रवण- जब वायुमंडल में अधिक ऊंचाई पर जाकर यह जलवाष्प ठंडे होकर बादलों का निर्माण करते हैं
तो इस प्रक्रिया को द्रवण कहते हैं।

No.3. वर्षण- जब जलवाष्प से बादल बनते हैं तो हवा इन बादलों को चारों ओर फैला देती है और जल वाष्पों से
भारी होने के कारण बादल जल के भार को सहन नहीं कर पाते और वे हिम,वर्षा, ओले आदि के रूप में बरस पड़ते हैं।

No.4. अंतः स्यंदन- अंत:स्यंदन का अर्थ है-जल का भूमि में रिसाव। वर्षा जितनी धीमी होगी अर्थात बादल से
पानी जितनी धीमी गति से धरती पर बरसेगा, पानी की मात्रा उतनी ही अधिक धरती के अंदर समा जाएगी।

 

जल चक्र क्या है:-

No.5. अपवाह- अपवाह का अर्थ होता है-जल का बहाव। बादलों से जितनी तीव्र गति से पानी धरती पर बरसेगा
पानी का अपवाह उतना ही तेज होगा। भारी वर्षा का जल शीघ्रता से बहता हुआ नदी नालों से होता हुआ बड़े-बड़े
जल निकायों झीलों सागरों एवं समुद्रों में चला जाएगा।

No.6. संग्रहण- वर्षा के पानी का बड़े-बड़े जल निकायों जैसे- नदियों, नालों, तालाबों, झीलों, सागरों एवं समुद्रों
में एकत्रित होना ही जल का संग्रहण कहलाता है।

प्रिय पाठको, उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी आपके ज्ञानवर्धन में सहायक
सिद्ध होगी। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक अवश्य करें।


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Jagminder Singh

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