लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण

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लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण
लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण:-आज SSCGK आपसे लोकोक्तियों की परिभाषा व उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे पहली पोस्ट में आप मुहावरे की परिभाषा व उदाहरण के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण:-

हम जानते हैं कि ‘लोकोक्ति’ शब्द लोक + उक्ति शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन |

इस प्रकार लोकोक्ति शब्द शब्द की परिभाषा हुई,

किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को लोकोक्तिकहते हैं।

जैसे :- थोथा चना बाजे घना ,नाच न जाने आँगन टेढ़ा आदि |

  1. अंधों में काना राजा -मूर्खों में थोड़ा सा पढ़ा-लिखा बुद्धिमान व्यक्ति-दीपू के परिवार में सिर्फ दीपू ही
    दसवीं पास है। इसे कहते हैं अंधों में काना राजा।
  2. अंधे के हाथ बटेर लगना– अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु मिल जाना- तनु ने खुशी की अपेक्षा कम
    मेहनत की और कक्षा में प्रथम स्थान पर रही। इसे देखकर पड़ोसी कहने लगे कि अंधे के हाथ बटेर लग गया है।
  3. थोथा चना बाजे घना -कम गुणवान व्यक्ति अधिक डींग मारता है-महेंद्र तो हमेशा बड़ी-बड़ी बातें करता
    रहता है लेकिन करता धरता कुछ नहीं। इसे कहते हैं तथा चना बाजे घना।
  4. चोर की दाढ़ी में तिनका -अपराधी का सशंकित रहना-जब मैंने भोलू को अपराध करते समय देखा तो
    उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गई तो मैं तभी समझ गया कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।
  5. खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे -दुर्बलता में शक्ति प्रदर्शन- गीता कुछ तो कुछ काम करती नहीं और
    गुस्सा बच्चों पर उतारती है। इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे।

    हिंदी भाषा में लोकोक्तियों के उदाहरण:-

  6. दूर के ढोल सुहावने -(दूर से बुरी वस्तुएं भी अच्छी लगती है)- आप कद्दू तो नजदीक से नहीं जानते,
    इसीलिए तुम्हें वह अच्छा लगता है| लेकिन मैं उसे अच्छी प्रकार से जानता हूं ,दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
  7. ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी -(झगड़े के कारण को जड़ से ही समाप्त कर देना)-जिस साइकिल
    को लेकर दोनों भाइयों में झगड़ा था पिताजी ने आज वह साइकिल बेच दी। सही कहा गया है ना रहेगा
    बांस ना बजेगी बांसुरी।
  8. गोद में छोरा देश में ढिंढोरा -पास की वस्तु को भी ना देखना-मैंने काफी देर तक अपना पैन ढूंढा
    लेकिन कहीं नहीं मिला और आखिर में यह मेरी जेब में ही मिला। इसे कहते हैं गोद में छोरा देश में ढिंढोरा।
  9. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद– मूर्ख व्यक्ति उत्तम की वस्तु का महत्व नहीं समझता-नालायक बच्चे
    परिश्रम के महत्व को नहीं समझते हैं। इसे कहते हैं बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
  10. मन चंगा तो कठौती में गंगा -अच्छे भाव वालों के लिए हर जगह तीर्थ है-अगर घर में सुख शांति है और
    मन शांत है तो इसे कहते हैं मन चंगा तो कठौती में गंगा।
  11. मान ना मान मैं तेरा मेहमान -ना चाहने पर भी गले पड़ना- जब लुधियाना वाले आपको अपना रिश्तेदार
    मानते ही नहीं फिर भी तुम उनके गले पड़े हो यह तो वही बात हुई मान न मान मैं तेरा मेहमान।
  12. रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई– शक्ति समाप्त होने पर भी व्यर्थ का घमंड- भोलू अपराध करते समय
    रंगे हाथों पकड़ा गया लेकिन अभी तक भी वह अपने आप को अपराधी नहीं मानता है इसे कहते हैं रस्सी
    जल गई पर ऐंठन न गई।

    लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण-

  13. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-दुर्जन प्रेम की भाषा नहीं समझते- दुष्ट बच्चों को कितना भी समझाओ
    लेकिन वे तो लातों के भूत होते हैं, वे बातों से नहीं मानते।
  14. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है -संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है-जब से मोनू भोलू
    की संगति में पड़ा है, तब से उसका स्वभाव बदल गया है ।इसे कहते हैं खरबूजे को देखकर खरबूजा
    रंग बदलता है।
  15. आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास– मूल कार्य को छोड़कर अन्य कार्य में लग जाना- कुछ बच्चे
    पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं, लेकिन वहां जाकर पढ़ने की बजाय खेलने लग जाते हैं ।इसे कहते हैं आए थे
    हरि भजन को ओटन लगे कपास।
  16. ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया -प्रभु की विचित्र लीला है कहीं दुख और कहीं सुख है- कहीं कोई
    कुटिया में जीवन यापन करता है तो कोई महलों में ।इसे कहते हैं ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया।
  17. आम के आम गुठलियों के दाम- दोहरा लाभ-मोनू ने ₹100 के अखबार खरीद कर पढ़ें और ₹50 की
    रद्दी बेच दी। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम।
  18. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे -अपना अपराध औरों के ऊपर मढना-चोरी करने के बाद भी भीमा
    चौड़ा होकर घूमता है और दूसरों को चोर कहता है। इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।

    लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण-

  19. 19.कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा,भानुमति ने कुनबा जोड़ा -असंगत गठबंधन-वर्तमान समय में
    गठबंधन की सरकारें कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा की कहावत चरितार्थ करती हैं।
  20. कानी के ब्याह में सौ जोखिम -कठिन कार्य में अनेक बाधाएं आना-बहुत तैयारी के साथ घर से शहर
    के लिए निकले थे, लेकिन रास्ते में बस पंक्चर हो गई इसे कहते हैं कानी के ब्याह में सौ जोखिम।

21.अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता -एक व्यक्ति द्वारा कुछ नहीं किया जा सकता-वह 10 लोग थे और अनिल
अकेला। वह उनसे कैसे लड़ सकता था। इसे कहते हैं, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

22.अकल बड़ी या भैंस -शारीरिक बल से बुद्धि बल श्रेष्ठ है- शारीरिक रूप से कमजोर होते हुए भी राकेश ने अपने
बुद्धि बल से बड़े-बड़े धुरंधरों को हरा दिया। इसे कहते हैं अकल बड़ी या भैंस।

  1. अंत भला तो सब भला-कार्य का अंतिम चरण ही महत्वपूर्ण होता है-यदि जीवन के अंतिम पलों में भगवान
    का नाम ले लिया जाए तो, इसे कहेंगे अंत भला तो सब भला।
  2. अधजल गगरी छलकत जाए -ओछा व्यक्ति अधिक उछल कूद करता है- महाबीर के पास देने के लिए
    कुछ नहीं है और बातें बड़ी-बड़ी करता है। यह तो ठीक ही है- अधजल गगरी छलकत जाए।

    लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण-

  3. अपनी अपनी डफली अपना अपना राग– एकमत न होना-राम कुमार के परिवार वाले आजकल अपनी अपनी डफली अपना अपना राग अलाप रहे हैं।
  4. जिसकी लाठी उसकी भैंस-शक्तिशाली व्यक्ति की ही जीत होती है- आजकल बड़ा ही विकट समय आ गया है कि कोई भी कमजोर व्यक्ति की बात नहीं सुनता| चारों तरफ यही कहावत चरितार्थ होती है- जिसकी लाठी उसकी भैंस।
  5. डूबते को तिनके का सहारा -घोर संकट में थोड़ी सहायता भी बहुत होती है-संकट की स्थिति में किसी विपत्तिग्रस्त व्यक्ति की सहायता करना, डूबते को तिनके का सहारा से कम नहीं होती।
  6. खोदा पहाड़ निकली चुहिया -अधिक परिश्रम पर परिणाम कम-सारी रात खजाने की खोज में गड्ढा खोदते
    रहे, लेकिन मिले सिर्फ चांदी के तीन सिक्के ।इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
  7. जो गरजते हैं वह बरसते नहीं -बड़ी-बड़ी बातें करने वाले समय पर धोखा दे देते हैं-देख लो तुम अपने मित्र
    को कैसी बड़ी-बड़ी बातें करता था और अब धोखा दे गया ।सही ही कहा गया है कि जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।
  8. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती -व्यक्ति को बार-बार मूर्ख नहीं बनाया जा सकता- राजेश मुझे कई
    बार धोखा दे चुका है, लेकिन अब मुझे चिकनी चुपड़ी बातों से नहीं बहका सकता, क्योंकि काठ की हांडी
    बार-बार नहीं चढ़ती है|

    लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण-
  9. एक चुप सौ को हराए– मौन रहना अति उत्तम है- यदि हम चुप रहेंगे तो विरोधी सारे अपने आप शांत हो
    जाएंगे, क्योंकि किसी ने ठीक ही कहा है- एक चुप सौ को हराए।
  10. ऊंट के मुंह में जीरा -बहुत खाने वाले को कम देना -भीम को दो रोटी खाने को देना तो ऊंट के मुंह में
    जीरा देने के समान है।
  11. एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है- एक के पूरा होने पर सभी को लांछन लगता है-कक्षा में एक
    बच्चा शरारत कर रहा था, उसे देख कर दूसरे भी शरारत करने लगे । ठीक ही कहा है -एक मछली सारे
    तालाब को गंदा करती है।
  12. बिल्ली के भाग से छींका टूटा- संयोगवश सफलता मिलना -अपना नालायक ढोलू 10वीं में पास हो गया है।
    भाई यह तो वही बात हुई- बिल्ली के भाग से छींका टूट गया।
  13. हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या-प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती-सारे
    आभूषण आपके सामने हैं, तुम स्वयं देख लो ।हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या।
  14. मुंह में राम बगल में छुरी -कपटपूर्ण आचरण करने वाला व्यक्ति- हमार पड़ोसन कमलेश  तो मुंह में राम
    बगल में छुरी वाली औरत है। ऊपर से वह बहुत मीठी, लेकिन अंदर से कुटिल है।

    लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण-
  15. अंधे के आगे रोए अपने नैन खोए -हृदयहीन के आगे दुखड़ा रोना- पप्पू को अपनी परेशानी बताना तो
    अंधे की आगे रोना है और अपने नैन खोना है।
  16. जिस हांडी में खाना उसी में छेद करना -विश्वासघात करना- मामन  भोलू के यहां काम करता था,
    मित्र बनकर रहता था और आज उसी के पैसे लेकर फुर  हो गया ।इसे कहते हैं- जिस हांडी में खाना
    उसी में छेद करना।
  17. होनहार बिरवान के होत चिकने पात– महान व्यक्ति पहचान बचपन में ही होने लगती है -अपनी
    रौनक को ही देख लो, यह तो अभी से ही बुद्धिमानी के  काम कर रही  है| यह कहते हैं- होनहार
    बिरवान के होत चिकने पात।
  18. यथा राजा तथा प्रजा -बड़ों का प्रभाव छोटों पर भी पड़ता है-आजकल जब सारे नेतागण ही भ्रष्ट हैं,
    तो जनता ईमानदार कैसे हो सकती है। ठीक ही कहा गया है- यथा राजा तथा प्रजा|

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