आत्मनेपदी धातु रुपाणि - SSC GK

आत्मनेपदी धातु रुपाणि

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आत्मनेपदी धातु रुपाणि
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आत्मनेपदी धातु रुपाणि:आज SSCGK आपसे आत्मनेपदी धातु रुपाणि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

इससे पहली पोस्ट में आप हिंदी साहित्य इतिहास के लेखक एवं प्रमुख ग्रंथ के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

संस्कृत भाषा में धातुओं के प्रकार-संस्कृत भाषा में धातुएं तीन प्रकार की होती हैं-

No.1.परस्मैपदी धातुएं

No.2.आत्मनेपदी धातुएं

No.3.उभयपदी धातुएं

No.1.परस्मैपदी धातुएं -जिन क्रियाओं का फल कर्म पर पड़ता है उन्हें परस्मैपदी धातुएं कहते हैं। जो वाक्य कर्तृवाच्य हो वहां परस्मैपदी धातु का प्रयोग होता है।

No.2.आत्मनेपदी धातुएं -जिन क्रियाओं का फल कर्ता पर पड़ता है, उन्हें आत्मनेपदी धातुएं कहते हैं।

आत्मनेपदी धातुओं का प्रयोग कर्म वाच्य और कर्मवाच्य एवं भाववाच्य में होता है।

No.3.उभयपदी धातुएं-संस्कृत में जिन क्रियाओं के रूप परस्मैपद एवं आत्मनेपद दोनों रूपों में चलते हैं उन्हें उभयपदी धातुएं कहते हैं।

No.2.आत्मनेपदी धातुएं

“वे क्रियाएं जिनका फल सीधा कर्ता ( क्रिया को करने वाला ) पर पड़ता है ,वे आत्मनेपदी धातु क्रियाएं  कहलाती हैं |”

जैसे -सेव ,लभ ,वृत्त ,जन, रुच  आदि |

No.1. सेव धातु (सेवा करना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष        एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष सेवते     सेवेते     सेवन्ते

मध्यम पुरुष सेवसे   सेवेथे     सेवध्वे

उत्तम पुरुष सेवे      सेवावहे   सेवामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन  द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष सेवताम्  सेवेताम्    सेवन्ताम्

मध्यम पुरुष सेवस्व   सेवेथाम्   सेवध्वम्

उत्तम पुरुष सेवै       सेवावहै     सेवामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष          एकवचन   द्विवचन    बहुवचन

प्रथम पुरुष असेवत    असेवेताम्   असेवन्त

मध्यम पुरुष असेवथा: असेवेथाम्  असेवध्वम्

उत्तम पुरुष असेवे     असेवावहि  असेवामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष        एकवचन   द्विवचन    बहुवचन

प्रथम पुरुष सेवेत     सेवेयाताम्   सेवेरन्

मध्यम पुरुष सेवेथा:  सेवेयाथाम्  सेवेध्वम्

उत्तम पुरुष सेवेय      सेवेवहि     सेवेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष          एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष  सेविष्यते   सेविष्येते  सेविष्यन्ते

मध्यम पुरुष सेविष्यसे सेविष्येथे   सेविष्यध्वे

उत्तम पुरुष सेविष्ये   सेविष्यावहे  सेविष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

No.2. लभ धातु(पाना,प्राप्त करना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष        एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष लभते     लभेते     लभन्ते

मध्यम पुरुष लभसे   लभेथे    लभध्वे

उत्तम पुरुष लभे     लभावहे   लभामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष लभताम् लभेताम् लभन्ताम्

मध्यम पुरुष लभस्व लभेथाम् लभध्वम्

उत्तम पुरुष लभै   लभावहै   लभामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष          एकवचन  द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अलभत  अलभताम्  अलभन्त

मध्यम पुरुष अलभथा: अलभेथाम् अलभध्वम्

उत्तम पुरुष अलभे   अलभावहि  अलभामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष        एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष लभेत   लभेयाताम्  लभेरन्

मध्यम पुरुष  लभेथा: लभेयाथाम् लभेध्वम्

उत्तम पुरुष लभेय   लभेवहि   लभेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष        एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष लप्स्यते   लप्स्येते   लप्स्यन्ते

मध्यम पुरुष लप्स्यसे  लप्स्येथे  लप्स्यध्वे

उत्तम पुरुष लप्स्ये   लप्स्यावहे  लप्स्यामहे

Aatmepadi Dhaatu Rupaani:-

No.3. वृध् धातु (बढ़ना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्धते      वर्धेते     वर्धन्ते

मध्यम पुरुष वर्धसे    वर्धेथे     वर्धध्वे

उत्तम पुरुष वर्धे     वर्धावहे     वर्धामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्धताम्   वर्धेताम्   वर्धन्ताम्

मध्यम पुरुष वर्धस्व  वर्धेथाम्   वर्धध्वम्

उत्तम पुरुष वर्धै    वर्धावहै    वर्धामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष         एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष अवर्धत  अवर्धेताम्  अवर्धन्त

मध्यम पुरुष अवर्धथा:  अवर्धेथाम् अवर्धध्वम्

उत्तम पुरुष अवर्धे  अवर्धावहि  अवर्धामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्धेत  वर्धेयाताम्   वर्धेरन्

मध्यम पुरुष वर्धेथा:  वर्धेयाथाम्   वर्धेध्वम्

उत्तम पुरुष  वर्धेय   वर्धेवहि   वर्धेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्धिष्यते   वर्धिष्येते   वर्धिष्यन्ते

मध्यम पुरुष वर्धिष्यसे  वर्धिष्येथे  वर्धिष्यध्वे

उत्तम पुरुष  वर्धिष्ये  वर्धिष्यावहे  वर्धिष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

No.4. जन्  धातु (पैदा करना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष जायते    जायेथे     जायन्ते

मध्यम पुरुष जायसे   जायेथे   जायध्वे

उत्तम पुरुष  जाये  जायावहे  जायामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष जायताम्  जायेताम्  जायन्ताम्

मध्यम पुरुष जायस्व  जायेथाम्  जायध्वम्

उत्तम पुरुष जायै    जायावहै    जायामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अजायत  अजायेताम्  अजायन्त

मध्यम पुरुष अजायथा: अजायेथाम्  अजायध्वम्

उत्तम पुरुष  अजाये अजायावहि  अजायामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष        एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष जायेत  जायेयाताम्   जायेरन्

मध्यम पुरुष जायेथा:  जायेयाथाम्  जायेध्वम्

उत्तम पुरुष  जाये    जायेवहि   जायेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष जनिष्यते  जनिष्येते   जनिष्यन्ते

मध्यम पुरुष जनिष्यसे जनिष्येथे  जनिष्यध्वे

उत्तम पुरुष जनिष्ये  जनिष्यावहे  जनिष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि-

No.5. रुच धातु (चमकना, पसंद आना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष रोचते     रोचेते     रोचन्ते

मध्यम पुरुष रोचसे   रोचेथे    रोचध्वे

उत्तम पुरुष रोचे    रोचावहे    रोचामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष  रोचते     रोचेते    रोचन्ते

मध्यम पुरुष  रोचसे    रोचेथे    रोचध्वे

उत्तम पुरुष  रोचे    रोचावहे    रोचामहे

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अरोचत  अरोचेताम्  अरोचन्ताम्

मध्यम पुरुष अरोचथा:  अरोचेथाम  अरोचध्वम्

उत्तम पुरुष अरोचे   अरोचावहे  अरोचामहे

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष         एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष रोचेत   रोचेयाताम्   रोचेरन्

मध्यम पुरुष रोचेथा:  रोचेयाथाम्  रोचेध्वम्

उत्तम पुरुष रोचेय    रोचेवहि    रोचेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष रोचिष्यते   रोचिष्येते   रोचिष्यन्ते

मध्यम पुरुष रोचिष्यसे  रोचिष्येथे  रोचिष्यध्वे

उत्तम पुरुष रोचिष्ये  रोचिष्यावहे  रोचिष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

No.6. वृत् धातु (होना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष          एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्तते       वर्तेते     वर्तन्ते

मध्यम पुरुष वर्तसे     वर्तेथे     वर्तध्वे

उत्तम पुरुष  वर्ते     वर्तावहे     वर्तामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष          एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्तताम्   वर्तेताम   वर्तन्ताम्

मध्यम पुरुष वर्तस्व   वर्तेथाम्   वर्तध्वम्

उत्तम पुरुष वर्तै     वर्तावहै      वर्तामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अवर्तत   अवर्तेताम्   अवर्तन्त

मध्यम पुरुष अवर्तथा:  अवर्तेथाम्  अवर्तध्वम्

उत्तम पुरुष  अवर्ते   अवर्तावहे   अवर्तामहे

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष         एकवचन  द्विवचन  बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्तेत   वर्तेयाताम्     वर्तेरन्

मध्यम पुरुष वर्तेथा:  वर्तेयाथाम्  वर्तेध्वम्

उत्तम पुरुष  वर्तेय    वर्तेवहि    वर्तेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष          एकवचन  द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष वर्तिष्यते   वर्तिष्येते   वर्तिष्यन्ते

मध्यम पुरुष वर्तिष्यसे   वर्तिष्येथे  वर्तिष्यध्वे

उत्तम पुरुष  वर्तिष्ये  वर्तिष्यावहे  वर्तिष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

No.7.याच् धातु  (मांगना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष  याचते      याचेते     याचन्ते

मध्यम पुरुष याचसे     याचेथे     याचध्वे

उत्तम पुरुष  याचे     याचावहे     याचामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष याचताम   याचेताम्   याचन्ताम्

मध्यम पुरुष याचस्व   याचथाम्   याचध्वम्

उत्तम पुरुष  याचै    याचावहै    याचामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष          एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अयाचत    अयाचेताम्   अयाचन्त

मध्यम पुरुष अयाचथा:  अयाचेथाम्   अयाचध्वम्

उत्तम पुरुष अयाचे   अयाचावहि   अयाचामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष  याचेत्   याचेयाताम्   याचेरन्

मध्यम पुरुष याचथा:  याचेयाथाम्   याचध्वम्

उत्तम पुरुष  याचेय      याचेवहि      याचेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष           एकवचन   बहुवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष याचयिष्यते याचयिष्येते याचयिष्यन्ते

मध्यम पुरुष याचयिष्यसे  याचयिष्येथे  याचयिष्यध्वे

उत्तम पुरुष  याचयिष्ये  याचयिष्यावहे  याचयिष्यामहे

आत्मनेपदी धातु रुपाणि:-

No.8.नय धातु (ले जाना)

लट् लकार (वर्तमान काल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष   नयते      नयेते        नयन्ते

मध्यम पुरुष  नयसे      नयेथे      नयध्वे

उत्तम पुरुष नये       नयावहे     नयामहे

 

लोट् लकार (आज्ञार्थ)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष  नयताम्    नयेयाम्    नयन्ताम्

मध्यम पुरुष  नयस्व    नयेथाम्    नयध्वम्

उत्तम पुरुष  नयै      नयावहै      नयामहै

 

लङ् लकार (भूतकाल)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष अनयत्    अनयताम्    अनयन्त

मध्यम पुरुष अनयथा:  अनयथाम्  अनयध्वम्

उत्तम पुरुष अनये    अनयावहि   अनयामहि

 

विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

पुरुष         एकवचन   द्विवचन   बहुवचन

प्रथम पुरुष नयेत्      नयेयाताम्     नयेरन्

मध्यम पुरुष नयेथा:   नयेयाथाम्  नयेध्वम्

उत्तम पुरुष  नयेय      नयेवहि     नयेमहि

 

लृट् लकार (भविष्यत काल)

पुरुष          एकवचन द्विवचन बहुवचन

प्रथम पुरुष  नेष्यते     नेष्येते     नेष्यन्ते

मध्यम पुरुष नेष्यसे    नेष्येथे    नेष्यध्वे

उत्तम पुरुष नेष्येयम्   नेष्यावहे   नेष्यामहे

Jagminder Singh

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