क्रिया की परिभाषा व भेद:- आज sscgk आपसे क्रिया की परिभाषा व भेद के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
पक्षी उड़ता है |
पत्ता गिरता है |
बच्चा रोता है |
बाग में मोर नाचता है |
गीता पुस्तक पढ़ती है |
राधा गाना गाती है |
रोशनी स्कूल जाती है |
अरमान खाना खाता है |
लता खाना बनाती है |
हरजीत पाठ याद करता है |
मीना कपड़े धोती है |
सुमन खाना खाती है।
राधिका कविता सुनाती है।
रजनी बाजार जाती है |
दीपू केले खाता है |
उपरोक्त वाक्यों का अध्ययन करने के उपरांत हमें ज्ञात हुआ कि कर्ता के द्वारा किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई काम किया जा रहा है |
जैसे -उड़ता है ,गिरता है ,रोता है ,नाचता है,सुनाती है,पढ़ती है,गाती है,जाती है ,खाती है,बनाती है ,याद करता है, धोती है, जाती है, खाता है आदि | इस काम करने को ही क्रिया कहा जाता है |
क्रिया की परिभाषा व भेद
क्रिया की परिभाषा :-
“शब्द के जिस रुप से हमें किसी काम के करने या होने का बोध हो ,उसे क्रिया कहते हैं |”
अर्थात जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाए, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं|
जैसे:- हंसना, रोना, उड़ना, नाचना, खाना, पीना, उठना, बैठना, रोना, धोना, सोना, भेजना, गाना, बजाना, आना,जाना ,उठना,बैठना आदि|
“ धातु क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं |’’
जब किसी भी धातु का रूप क्रिया के रूप में लिखना होता है, तो धातु रूप के साथ ना प्रत्यय जोड़कर क्रिया का रूप बनाया जाता है |
पिछ्ली पोस्ट में हमने आपसे विशेषण की परिभाषा व भेदों के बारे में विस्तार से चर्चा की थी |
जैसे:-
लिख + ना= लिखना
हंस + ना = हंसना
बोल + ना =बोलना
खा + ना = खाना
पी + ना = पीना
उठ + ना = उठना
गा + ना = गाना
बैठ + ना = बैठना
नाच + ना = नाचना
पढ़ + ना = पढ़ना
बोल + ना=बोलना
सुन + ना =सुनना
हिंदी में क्रिया के भेद/प्रकार –
क्रिया के दो प्रकार से भेद किए जाते हैं:-
No.1. कर्म के आधार पर
No 2. रचना के आधार पर
क्रिया के भेदों का वर्णन :-
No.1.कर्म के आधार पर:- कर्म के आधार पर क्रिया दो प्रकार की होती है :-
(1)अकर्मक क्रिया
(2)सकर्मक क्रिया
(1) अकर्मक क्रिया:- अकर्मक अर्थात अ+कर्मक। इसका अर्थ यह हुआ कि बिना कर्म के या कर्म के बिना ।
“जिन क्रियाओं के प्रयोग में कर्म की आवश्यकता नहीं होती तथा क्रिया के व्यापार का फल कर्ता पर पड़ता है, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं ।”
जैसे:- सोना, उड़ना, हंसना, नाचना, चिल्लाना, चमकना भागना, ठहरना , उछलना, कूदना, जीना, मरना आदि।
(2) सकर्मक क्रिया :- सकर्मक अर्थात स+कर्मक । इसका अर्थ यह हुआ कर्म के साथ|
” जिन क्रियाओं में यह प्रयोग में कर्म की आवश्यकता रहती है , तथा क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है , उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं ।”
जैसे:- लिखना, मिटाना, सुनाना, पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, धोना, लेना, देना, खरीदना, बेचना ,पढ़ाना, बढ़ाना ,पकाना, सिलाना, सिलना आदि ।
सकर्मक क्रिया के भेद :-
सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं :-
(1) एककर्मक क्रिया
(2) द्विकर्मक क्रिया
(1). एककर्मक क्रिया – जिन सकर्मक क्रियाओं के में केवल एक ही कर्म होता है, वे एककर्मक क्रिया कहलाती हैं ।
जैसे –
दीपू पाठ पढता है ।
लता गाना गाती है ।
रजनी सुलेख लिखती है ।
राधिका खाना बनाती है ।
तनु केला खाती है ।
रोशनी बाजार जाती है।
(2).द्विकर्मक क्रिया :- जिन सकर्मक क्रियाओं के प्रयोग में दो कर्म होते हैं , उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं ।
जैसे:-
राम ने सीता को फल दिए ।
गीता ने राधा को कपड़े दिए ।
अर्जुन ने भीम को खीर दी ।
रोशनी ने नीता को रामायण दी।
तनु ने सुमन को रोटी दी ।
स्नेहा ने ललिता को खिलौने दिए।
हिंदी में क्रिया के भेद/प्रकार :-
No.2. रचना के आधार पर क्रिया के भेद:-
रचना के आधार पर क्रिया के पांच भेद होते हैं :-
- सामान्य क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- नामधातु क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
1. सामान्य क्रिया:-“जिस वाक्य में एक क्रिया होती है उसे सामान्य क्रिया कहते हैं।”
जैसे:-
गीता ने गाना गाया|
देव पाठ पढता है |
नीता ने रोटी खाई।
2.. संयुक्त क्रिया: –
वे क्रियाएं जो दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से बनी हो ,संयुक्त क्रिया कहलाती हैं।
जैसे-
बच्चा जाग गया है।
बच्चा सो गया है।
मोहन अपने घर चला गया है।
राजू बाजार से लौट आया है ।
शायद रोशनी सो गई है।
क्रिया की परिभाषा व भेद:-
- नामधातु क्रिया -वे क्रियाएं जो संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण शब्दों से बनी हो, वे नामधातु क्रिया कहलाती हैं ।
जैसे –
शर्म से शर्माना ।
बात से बतियाना ।
गरम से गर्माना ।
खटखट से खटखटाना ।
लालच से ललचाना ।
अपना से अपनाना ।
बात से बतियाना ।
शर्म से शर्माना।
क्रिया के भेद:-
- प्रेरणार्थक क्रिया:- जिन क्रियाओं को ,कर्ता स्वयं न करके किसी दूसरे को क्रिया करने की प्रेरणा देता है ,उन्हें प्रेरणार्थक क्रियाएं कहते हैं ।
जैसे :-
अध्यापक बच्चे से पाठ पढ़वाता है ।
मां बेटी से खाना पकवाती है ।
मोहन सोहन से दीपक जलवाता है ।
ऋषि राम से बाण चलवाता है।
पिता-पुत्र को खिलौने दिलवाता है ।
मोनू सोनू से गाड़ी चलवाता है ।
स्नेहा जिया से कपड़े धुलवाती है ।
क्रिया की परिभाषा व भेद-
5.पूर्वकालिक क्रिया -पूर्वकालिक शब्द का अर्थ है- पहले समय में पूर्ण हुई। इस प्रकार पूर्णकालिक क्रिया का अर्थ हुआ- पहले समय में पूर्ण हुई संपन्न हुई क्रिया।
“वे क्रियाएं जिनकी रचना मूल धातु में कर या करके लगाकर की जाती है ,पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं ।”
जैसे :-
बच्चा दौड़ कर नदी में कूद गया ।
गीता ने घर जाकर खाना खाया ।
रोशनी ने भागकर बस पकड़ी ।
तनु ने पाठ याद करके सुनाया ।
बच्चा खेल कर खुश हो गया।
अरमान थक कर सो गया।