भारत के प्रमुख पठार:-आज SSCGK आपसे भारत के प्रमुख पठार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
इससे पहले पोस्ट में आप भारत के राज्य और उनकी राजधानी के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
भारत के प्रमुख पठार:-
पठार की ऊंचाई पर्वत की ऊंचाई की तुलना में कम होती है। अधिकतर पर्वतों के शिखर होते हैं जबकि पठार का कोई शिखर नहीं होता है। पठारों की पर्वतों की तरह ऊंचाई तो होती है लेकिन ये ऊपर से मैदानी भागों के समान समतल होते हैं। संपूर्ण धरातल के 33% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता है। सागर तल से इनकी ऊंचाई लगभग 600 मीटर तक होती है। पठार की परिभाषा निम्न प्रकार से दी जा सकती है-
“धरातल कब है विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आसपास की जमीन से काफी ऊंचा होता है और जिस का ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो, तो वह पठार कहलाता है।”
BHARAT KE PRAMUKH PATHHAAR:-
पठारों का वर्गीकरण:-
पठारों का निम्न तीन प्रकार से वर्गीकरण किया गया है-
No.1. जलवायु के आधार पर पठार
No.2. अंतर्जात बलों से उत्पन्न पठार
No.3. बहिर्जात बलों से उत्पन्न पठार
No.1. जलवायु के आधार पर पठार-
जलवायु के आधार पर पठार तीन प्रकार के होते हैं-
- शुष्क पठार
- आर्द्र पठार
- हिम पठार
***भारत में पाए जाने वाले पठार***
भारत के प्रमुख पठार:-
- मालवा का पठार – यह पठार गुजरात मध्य प्रदेश व राजस्थान आदि तीन राज्यों में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई लगभग 500 से 610 मीटर है। यह अरावली पर्वत विंध्याचल पर्वत के बीच में स्थित है।इसे लावा निर्मित पठार भी कहा जाता है| इसका निर्माण ग्रेनाइट से हुआ है और यह काली मिट्टी से ढका हुआ है। चंबल नदी ने इस के मध्य भाग को, माही नदी ने पश्चिमी भाग को तथा बेतवा नदी ने इसके पूर्वी भाग को प्रभावित किया है।
- बुंदेलखंड का पठार- यह पठार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच फैला हुआ है| इसका निर्माण ग्रेनाइट और नीस से हुआ है। इस पठार से कम गुणवत्ता वाला लौह अयस्क के प्राप्त होता है। इसकी ढलान दक्षिण से उत्तर और उत्तर पूरब की ओर है।
- छोटा नागपुर का पठार -यह पठार तीन छोटे पठारों से मिलकर बना है, जिसमें रांची का पठार, हजारीबाग का पठार और कोडरमा का पठार शामिल हैं। यह पठार झारखंड में फैला हुआ है| इसके पूर्व में सिंधु गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी है। इसका क्षेत्रफल 65000 वर्ग किलोमीटर है और इसकी औसत ऊंचाई लगभग 700 मीटर है। यह पठार कोयले का अकूत भंडार है, जिससे दामोदर घाटी में बसे उद्योगों की ऊर्जा संबंधी सारी आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
भारत के प्रमुख पठार:-
- शिलांग का पठार–गारो, खासी और जयन्ती पहाड़ियां इसी के अंदर आती हैं। इस पठार में कोयला और लौह अयस्क और चूना पत्थर के भंडार उपलब्ध हैं।
- दक्कन का पठार -दक्कन का पठार भारत का सबसे बड़ा पठार है| यह दक्षिण के 8 राज्यों में फैला हुआ है |इसकी आकृति त्रिभुज के आकार की है। इसकी औसत ऊंचाई 600 मीटर है। सतपुड़ा और विंध्याचल श्रृंखला इसकी पूर्वी सीमा है और पूर्व और पश्चिम में पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है।भारत के प्रमुख पठार:-
दक्कन के पठार को तीन भागों में बांटा गया है-
(1).महाराष्ट्र का पठार -एक पठार की आकृति त्रिकोण जैसी है। यह उत्तर में 3000 मीटर ऊंचा है तथा दक्षिण में पश्चिम में 900 मीटर ऊंचा है| यह 7005000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। ताप्पी नदी इसकी उत्तरी सीमा बनाती है तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट। इस प्रकार के अंतर्गत महाराष्ट्र मध्य प्रदेश कर्नाटक गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्य के भू भाग आते हैं। इस पठार की चट्टानों में लोहा, अभ्रक, मैग्नेसाइट तथा बॉक्साइट आदि खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें काली मिट्टी की आर्कियन पाई जाती है।
गोदावरी नदी इसे दो भागों में विभाजित करती है -तेलंगाना का पठार एवं कर्नाटक का पठार|
(2).आंध्र प्रदेश का पठार– आंध्र प्रदेश के पठार को दो भागों में बांटा गया है –
(A). तेलंगाना का पठार– इस पठार का निर्माण लावा से हुआ है| इसी कारण इसे लावा पठार के नाम से जाना जाता है।
(B). रायलसीमा का पठार -इस पठार में आर्कियन चट्टानों की अधिकता पाई जाती है।
भारत के प्रमुख पठार:-
(3).कर्नाटक का पठार- इस पठार का क्षेत्रफल लगभग 189000 वर्ग किलोमीटर है और औसत ऊंचाई लगभग 800 मीटर है। इसका निर्माण ज्वालामुखी चट्टानों दावेदार परतदार चट्टानों और ग्रेनाइट से हुआ है।इस पठार की प्रमुख नदियां हैं- गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा, शरावती और भीमा। शरावती नदी पर स्थित भारत का सबसे ऊंचा जलप्रपात ‘जोग जलप्रपात’ है,| जिसकी ऊंचाई 253 मीटर है। यह भारत का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। यह देश में पनबिजली उत्पादन का अकेला विशालतम स्रोत है और प्रमुख पर्यटन का केंद्र है।
यह पठार दक्षिण में नीलगिरी पहाड़ी में विलीन हो जाता है और दक्षिणी पहाड़ियों में लगभग 2030 मिलीमीटर और उत्तरी पहाड़ियों में 711 मिलीमीटर तक वर्षा होती है। इस प्रकार पर चंदन, सांगवान व यूकेलिप्टस के वृक्ष पाए जाते हैं। इस पठारी क्षेत्र में मैंगनीज क्रोमियम तांबा और बॉक्साइट का खनन किया जाता है ।यहां बाबाबूदान की पहाड़ियों में लौह अयस्क तथा कोलार क्षेत्र में सोने के विशाल भंडार है।यहां की प्रमुख फसलें हैं -ज्वार, कपास, चावल, गन्ना, तिल, मूंगफली, तंबाकू, फल, नारियल और कॉफी।
भारत के प्रमुख पठार:-
No.2. अंतर्जात बलों से उत्पन्न पठार-
- अंतरा पर्वतीय पठार-
- पर्वत पादीय पठार
- तटीय पठार
- गुंबदाकार पठार
No.3. बहिर्जात बलों से उत्पन्न पठार-
1.जलीय पठार– इस प्रकार के पठारों का निर्माण नदियों द्वारा सागरों में पहुंचने से पहले उनके द्वारा वह आकर लाए गए नियमों के जमाव से होता है
2.वायव्य पठार– इन पठारों का निर्माण वायु के परिवहन तथा निक्षेपण के परिणाम स्वरूप होता है।
3.हिमानी पठार– पहाड़ी क्षेत्रों में कई भूभाग हिमानी क्रिया से अपरदन तथा निक्षेपण के कारण पठारों में परिवर्तित हो जाते हैं। अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड इसके उदाहरण हैं।
4.उस्यंत पठार- इस प्रकार के प्रकारों की उत्पत्ति ज्वालामुखी उद्गार के समय लावा के धरातल पर फैलकर जमा हो जाने के कारण होती है।