भारत की नदियां

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भारत की नदियां
भारत की नदियां

भारत की नदियां:- आज SSCGK आपसे भारत की नदियां नामक विषय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे

इससे पहले पोस्ट में आप SSC CPO EXAM 2017 के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

भारत की नदियां:-

प्राचीनकाल से ही हमारे देश भारत की नदियों का देश की संज्ञा से संबोधित किया जाता रहा है| देश  के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये नदियाँ ही भारत की जीवन रेखाएं हैं |सिंधु (सिन्धु) तथा गंगा (गङ्गा) नदी की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं – सिंधु (सिन्धु) घाटी तथा आर्य सभ्यताओं का विकास हुआ। प्राचीनकाल से ही नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, मध्य भारत में गंगा, उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं।

भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-

  1. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ
  2. दक्षिण से निकलने वाली नदियाँ
  3. तटवर्ती नदियाँ
  4. अन्तर्देशीय नालों से द्रोणी क्षेत्र की नदियाँ

भारतीय नदी अपवाह  तंत्र:-

No.1. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ:-

यह सर्व विदित है कि हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने से बनी हैं | अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्तर प्रवाह बना रहता है। मानसून माह के दौरान हिमालय क्षेत्र में बहुत अधिक वर्षा होती है और इनके आयतन में उतार चढ़ाव होता है। इन नदियों में से कई अस्थायी होती हैं। तटवर्ती नदियाँ, विशेषकर पश्चिमी तट पर, लम्बाई में छोटी होती हैं और उनका सीमित जलग्रहण क्षेत्र होता है। इनमें से अधिकांश अस्थायी होती हैं। पश्चिमी राजस्थान के अन्तर्देशीय नाला द्रोणी क्षेत्र की कुछ्‍ नदियाँ हैं। इनमें से अधिकांश अस्थायी प्रकृति की हैं। हिमाचल से निकलने वाली नदी की मुख्य प्रणाली सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदी की प्रणाली की तरह है।

 

भारत की नदियां:-

1..सिंधु नदी:-

सिंधु नदी विश्व की महान, नदियों में एक है| यह नदी  तिब्बत में मानसरोवर के निकट से निकलती है और भारत से होकर बहते हुए पाकिस्तान के कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली सतलुज,व्यास, रावी, चिनाब, और झेलम इसकी सहायक नदियां हैं।

 

2.. गंगा नदी:-

गंगा नदी उत्तराखंड में स्थित हिमालय पर्वतमाला से प्रवाहित होती है | यह उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार और प.बंगाल से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र मेघना एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रणाली है जिसका उप द्रोणी क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा में है, जो देवप्रयाग में मिलकर गंगा बन जाती है। राजमहल की पहाड़ियों के नीचे भागीरथी नदी, जो पुराने समय में मुख्य नदी हुआ करती थी, निकलती है जबकि पद्मा पूरब की ओर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करती है। गंगा की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी, और सोन हैं। चंबल और बेतवा महत्त्वपूर्ण उप सहायक नदियाँ हैं जो गंगा से मिलने से पहले यमुना में मिल जाती हैं। पद्मा और ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में मिलती हैं और पद्मा अथवा गंगा के रुप में बहती रहती है।

भारत की नदियां:-

3.ब्रह्मपुत्र नदी:-

ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है, जहाँ इसे सांगपो कहा जाता है और लम्बी दूरी की यात्रा कर भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। यहाँ इसे दिहांग कहा जाता है। पासी घाट के निकट देबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती हैं और यह संयुक्त नदी पूरे असम से होकर एक संकीर्ण घाटी में बहती है। यह घुबरी के अनुप्रवाह में बांग्लादेश में प्रवेश करती है। भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियाँ सुबसिरी, जिया भरेली, घनसिरी, पुथिभारी, पागलादिया और मानस हैं।

 

No.2. दक्षिण क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ:-

 

दक्कन क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदी प्रणालियाँ सामान्यतः पूर्व दिशा में बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। नर्मदा, ताप्ती पश्चिम की बहने वाली प्रमुख नदियाँ है, जबकि गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी, आदि पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं | दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी दूसरी सबसे बड़ी नदी का द्रोणी क्षेत्र है जो भारत के क्षेत्र का 10 प्रतिशत भाग है। इसके बाद कृष्णा नदी के द्रोणी क्षेत्र का स्थान है जबकि महानदी का तीसरा स्थान है। दक्कन के ऊपरी भूभाग में नर्मदा का द्रोणी क्षेत्र है, यह अरब सागर की ओर बहती है, बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली दक्षिण में कावेरी के समान आकार की है और परन्तु इसकी विशेषताएँ और बनावट अलग है।

भारत की नदियां:-

दक्षिण क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ:-

1.- दामोदर नदी:-

दामोदर नदी छोटानागपुरपठार के मध्य में अपनी भ्रंश घाटी में प्रवाहित होते हुये हुगली नदी में मिल जाती है | अर्थात् दामोदर नदी प्रत्यक्ष रूप से बंगाल की खाड़ी में जल न गिराकर हुगली नदी के माध्यम से अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती है |

 

2.-  स्वर्णरेखा नदी:-

स्वर्णरेखा नदी झारखंड की राजधानी राँची के समीप से निकलकर तीन राज्यों झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से होकर प्रवाहित होती है और उड़ीसा तटपर अपना मुहाना बनाती है |छोटानागपुर पठार एक औद्योगिक क्षेत्र है इसलिए औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ स्वर्णरेखा नदी में गिराया जाता है,जिसके कारण स्वर्णरेखा नदी बहुत प्रदूषित हो चुकी है| जमशेदपुर शहर स्वर्णरेखा नदी के तट पर स्थित है|

 

3.-  वैतरणी नदी:-

वैतरणी नदी उड़ीसा के क्योंझर पठार से निकलती है और उड़ीसा तट पर अपना जल गिराती है |

 

भारत की नदियां:-

 

4.- ब्राह्मणी नदी:-

ब्राह्मणी नदी राँची के समीप से निकलती है और उड़ीसा तट पर अपना मुहाना बनाती है |

 

 5.-  महानदी नदी:-

महानदी छत्तीसगढ़ के दण्डकारण्य पठार से निकलती है और उड़ीसा के कटक शहर के पास अपना डेल्टा बनाती है| छत्तीसगढ़ में महानदी की घाटी को छत्तीसगढ़ बेसिन कहते हैं | छत्तीसगढ़ बेसिन धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है| छत्तीसगढ़ बेसिन को धान का कटोरा कहते हैं |

 

6.- गोदावरी नदी:-

गोदावरी नदी को दक्षिणी गंगा या वृद्ध गंगा के नाम से भी जाना जाता है |

यह नदी दक्षिण भारत की सबसे लम्बी व भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है | इसकी कुल लम्बाई लगभग 1465 किमी० है |गोदावरी नदी महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट पहाड़ी पर स्थित नासिककेत्रयम्बकनामक स्थान से निकलती है और तीन राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से होकर प्रवाहित होती है |प्रवरा,  पूर्णा,  वेनगंगा,  प्राणहिता,  इन्द्रावती और मंजीरा इसकी सहायक नदियाँ हैं | गोदावरी नदी‘ की सबसे लम्बी सहायक नदी ‘वेनगंगा नदी’ है |

भारत की नदियां:-

 7.- कृष्णा नदी:-

कृष्णा नदी दक्षिण भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है |यह नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट पर्वत परमहाबलेश्वर चोटी से निकलती है और चार राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से होकर प्रवाहित होती है |यह नदी विजयवाड़ा के निकट डेल्टा बनाती है | कृष्णा नदी तथा गोदावरी नदी का डेल्टा आपस में मिल गया है |आंध्रप्रदेश के तट पर कृष्णा नदी और गोदावरी नदी की डेल्टा के मध्य कोलेरू झील स्थित है | तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मालप्रभा, दूधगंगा, पंचगंगा, भीमा, कोयना और मूसी कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ हैं| तुंगभद्रा नदी ‘कृष्णा नदी‘ की सबसे लम्बी सहायक नदी है, जो दक्षिण से प्रवाहित होते हुए आती है और कृष्णा नदी में मिल जाती है |तुंगभद्रा नदी पश्चिमी घाट पर्वत से दो धाराओं तुंगा और भद्रा के रूप में निकलती है |आंध्रप्रदेश की राजधानी ‘हैदाराबाद’ मूसी नदी के तट पर स्थित है |

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8.- पेन्नार नदी:-

पेन्नार नदी ‘कृष्णा नदी‘ और कावेरी नदी के मध्य में प्रवाहित होती है|यह नदी आंध्र प्रदेश में प्रवाहित होने वाली महत्वपूर्ण नदी है |यह कर्नाटक में कोलार नामक स्थान से निकलती है और आंध्रप्रदेश में अपना मुहाना बनाती है

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9.- कावेरी नदी:-

कावेरी नदी कर्नाटक में पश्चिमी घाट पर्वत के पुष्पगिरी या ब्रह्मगिरि नामक पहाड़ी से निकलती है तथा दो राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु में प्रवाहित होती है |कावेरी नदी को ‘दक्षिण भारत की गंगा’ भी कहते हैं |कावेरी नदी की घाटी धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है| इसलिए कावेरी नदी घाटी को दक्षिण भारत के ‘धान का कटोरा’ कहते हैं |शिमसा, आर्कावती, हेमवती, अमरावती, काबीनी, भवानी, लक्ष्मणतीर्थ और लोकपावनी कावेरी नदी की सहायक नदियाँ हैं| जहाँ दक्षिण भारत की अधिकाँश नदियों में केवल दक्षिण/पश्चिमी मानसून काल में ही जल की मात्रा बनी रहती है, वहीं कावेरी नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जिसमें जल की मात्रा वर्षभर बनी रहती है|कावेरी नदी वर्षा वाहिनी है, क्योंकि कावेरी नदी के जल के दो स्रोत हैं –

(1)  ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से

(2)  निचली जलग्रहण क्षेत्र में, अर्थात् कोरोमण्डल तट पर उत्तर-पूर्वी मानसून से |

 

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  1. 10. वैगाई नदी:-

वैगाई नदी तमिलनाडु के वरूषनादु पहाड़ी से निकलती है| वैगाई नदी रामेश्वरम के पास पाक जलडमरूमध्य में अपना मुहाना बनाती है |मदुरै वैगाई नदी के तट पर स्थित है |

 

  1. 11. ताम्रपर्णी नदी:-

कार्डामम पहाड़ी में स्थित अगस्त्यमलाई चोटी से निकलती है और मन्नार की खाड़ी में जल गिराती हैं |

 

  1. तटवर्ती नदियाँ:-

भारत में कई प्रकार की तटवर्ती छोटी नदियाँ भी बहती है| ऐसी नदियों में काफी कम नदियाँ-पूर्वी तट के डेल्टा के निकट समुद्र में मिलती हैं, जबकि पश्चिम तट पर ऐसी 600 नदियाँ है। राजस्थान में ऐसी कुछ नदियाँ बहती है, जो समुद्र में नहीं मिलती हैं। ये खारे झीलों में मिल जाती है और रेत में समाप्त हो जाती हैं| ऐसी नदियों में लुणी और मच्छक, स्पेहन, सरस्वती, बनास और घग्घर जैसी अन्य प्रमुख नदियाँ हैं।