शब्द और उसके भेद

0
115
शब्द और उसके भेद
शब्द और उसके भेद
  1. शब्द और उसके भेद:- आज SSCGK इस पोस्ट में आपसे शब्द और उसके भेदों के बारे में चर्चा करेंगे।
    बोलते समय हमारे मुख से अनेक ध्वनियां निकलती हैं। इन्हीं ध्वनियों के मेल से शब्द बनते हैं। इस प्रकार वर्णों के सार्थक मेल से ही शब्दों का निर्माण होता है।
    शब्द की परिभाषा:“एक से अधिक वर्णों के मेल से बनी सार्थक समूह को शब्द कहते हैं ।”जैसे-फसल, कमल, कलम, माता, पिता, सपना, स्टेशन आदि| पहले वाली पोस्ट में हमने आपसे व्याकरण की परिभाषा व इसके प्रकार  के बारे में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं |

शब्द और उसके भेद:-

शब्दों का वर्गीकरण निम्न चार प्रकार से किया गया है-
No.1.रचना /बनावट के आधार पर
No.2.उत्पत्ति के आधार पर
No.3.अर्थ के आधार पर
No.4 प्रयोग के आधार पर
No.1. रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण-रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं-
१.रूढ़ 
२.यौगिक
३.योगरूढ़
१.रूढ़ शब्दवे शब्द जो एक से अधिक वर्णों के योग से बने हो और जिन के टुकड़ों का कोई अर्थ ना निकलता हो, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं |

जैसे- लता, सूर्य, पेड़ आदि।
२. यौगिक शब्द वे शब्द जो एक से अधिक शब्दों के योग से बने हो तथा जिन का प्रत्येक खंड सार्थक हो उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।

जैसे– पाठशाला, व्यायामशाला,प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कार्यशाला, देवालय, शिवालय आदि।
३. योगरूढ़ शब्द वे शब्द जो एक से अधिक शब्दों की योग से बने हो लेकिन किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं|

जैसे- लंबोदर, दशानन ,चतुर्भुज अष्टाध्यायी, निशाचर नीलकंठ आदि।

Shabd aur Uske Bhed:-

No.2. उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण- उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार प्रकार के होते हैं-
१.तत्सम शब्द
२.तद्भव शब्द
३.देशज शब्द
४.विदेशज शब्द

५.संकर शब्द

१. तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के वे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रकट प्रयोग होते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।

जैसे- कार्य, नेत्र, क्षेत्र, जल, पुस्तक,वस्त्र आदि।
२. तद्भव शब्द संस्कृत भाषा के वे शब्द जिनका बिगड़ा हुआ रूप हिंदी भाषा में प्रयोग होता है ,तद्भव शब्द कहलाते हैं।

जैसे- अंधेरा, आग, मोर, जीभ, सोना, सावन आदि।
३. देशज शब्द देशी भाषाओं वे शब्द जो हिंदी भाषा में प्रचलित हो गए हैं, देशज शब्द का लाते हैं ।

जैसे- धोती, खिड़की, बाबा, खंडका, खाट आदि ।
४. विदेशज शब्द विदेशी भाषाओं के वे शब्द जो हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं, विदेशज शब्द कहलाते हैं।

जैसे- मास्टर, डॉक्टर, स्टेशन, चाकू, अलमारी, बाल्टी, स्कूल ,कंप्यूटर आदि।

१).अंग्रेजी भाषा के शब्द -स्कूल ,बस, टेलर ,गार्ड, डॉक्टर ,मास्टर ,रजिस्टर ,पेपर आदि |
२).अरबी भाषा  के शब्द -किताब ,कबीला ,मतलब ,इंतज़ार ,इनाम ,तहसील,हलवाई आदि |
३).फारसी भाषा के शब्द -अख़बार ,तनख्वाह ,कारीगर ,गुलाब ,मजदूर,जलेबी , सौदागर आदि |
४).तुर्की भाषा के शब्द – चुगली ,तमगा ,तमाशा ,बेगम कैंची ,बहादुर ,बेगम ,चम्मच ,बावर्ची आदि |
५). फ्रेंच भाषा के शब्द-सूप ,कारतूस , मेयर ,मीनू , कूपन ,काजू ,मार्शल ,अंग्रेज ,रेस्तरां आदि |

५.संकर शब्द- वे शब्द जो दो भिन्न भाषाओं के योग से बने हो वे संकर शब्द कहलाते हैं।

जैसे-नुकसानदयक, टिकटघर, सिनेमाघर, अजायबघर, हवाई अड्डा आदि।।

No.3. अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण अर्थ के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं-
१.सार्थक शब्द
२.निरर्थक शब्द
१. सार्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ निकले, वे सार्थक शब्द कहलाते हैं।

जैसे- प्रधानमन्त्री, शिक्षक, विद्यार्थी, महिला, आधुनिक, विज्ञान आदि।
२. निरर्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ ना निकले, वे निरर्थक शब्द कहलाते हैं।

जैसे- वाय, वानी, वोटी आदि।

  1. शब्द और उसके भेद:-

No.4. प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण प्रयोग के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं-
१.विकारी शब्द
२.अविकारी शब्द
१. विकारी शब्द जिन शब्दों का रूप लिंग, वचन, काल, कारक आदि के कारण बदल जाता है,वे  विकारी शब्द कहलाते हैं।

ये चार प्रकार के होते हैं-
(1)संज्ञा
(2)सर्वनाम
(3)विशेषण
(4)क्रिया
(1)संज्ञा-किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं|
जैसे :
-राम ,सीता ,रोशन, रोशनी ,ताजमहल, दिल्ली ,पानीपत,शेर,घोड़ा,अपनापन आदि |

(2)सर्वनाम-वाक्य में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं |
जैसे :
-मैं ,तू,वह ,वे ,कौन,क्या, जो,सो ,जैसा ,वैसा आदि |

(3)विशेषण-संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं |
जैसे :-
काला, गोरा, मोटा,पतला, लम्बा,छोटा, पांच, दस ,कुछ ,थोड़ा,कम ,ज्यादा आदि|

(4)क्रिया-जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाए उन्हें क्रिया कहते हैं |
जैसे :-
हँसना ,रोना ,सोना,जागना, खेलना,चलना .पढना,लिखना ,कूदना,लेटना आदि|

२. अविकारी शब्द जिन शब्दों का रूप लिंग, वचन, काल, कारक आदि के कारण नहीं बदलता है,वे अविकारी शब्द कहलाते हैं|

ये पांच प्रकार के होते हैं-
(1)क्रिया विशेषण
(2)संबंध बोधक
(3)समुच्चयबोधक
(4)विस्मयादिबोधक

शब्द और उसके भेद:-

(5) निपात

(1)क्रिया विशेषण -क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रियाविशेषण कहते हैं।

जैसे- नीचे, भीतर, तेज, धीरे, प्रतिदिन, अब,जल्दी, यहां, वहां, अभी आदि।

(2)संबंध बोधक –वे अव्यय शब्द जो संज्ञा के बाद आकर संज्ञा का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताए, वे संबंध बोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे-के ऊपर, की ओर, ऊपर, नीचे, के अनुसार,से पहले, से लेकर आदि।

(3)समुच्चयबोधक -वे शब्द जो दो शब्दों, शब्दांशों और वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं, वे समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे-क्योंकि तथा, लेकिन, मानो, अथवा, तथापि, क्योंकि, यदि, किंतु, परंतु आदि।

(4)विस्मयादिबोधक– जिन शब्दों से हर्ष, शोक, भय, विस्मय, आश्चर्य आदि भावों का बोध हो, वे विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे-अहा, ओह, छि:छि:, वाह, अरे, हाय आदि।

(5) निपात वे शब्द जो किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर विशेष बल देते हैं,वे निपात कहलाते हैं।

जैसे-ही, भी, तो, तक, मात्र,भर, मत, सा आदि।