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CTET Notes in Hindi PDF Download
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Que.-1.आनंदवर्धन ने रस की परिभाषा दी है – रस का आश्रमय ग्रहण कर काव्य में अर्थ नवीन और सुंदर रूप धारण कर सामने आता है।
Que.-2.काव्य पढ़ने के बाद ह्दय में जो भाव जगते हैं उसे रस कहते हैं यह परिभाषा दी है – डॉ. दशरथ औझा ने
Que.-3.रस के अंग (अवयव) है – चार, विभाव, अनुभाव, संचारी और स्थाई
Que.-4.विभाव का अर्थ है – कारण। लोक में रति आदि स्थायी भावों की उत्पति के जो कारण होते हैं उन्हें विभाव कहते है।
Que.-5.विभाव के प्रकार है – 1 आलम्बन (विषयालम्बन और आश्रयालम्बन), 2 उद्दीपन (आलम्बन की चेष्टा और प्रकृति तथा वातावरण को उद्दीप्त करने वाली वस्तु)
Que.-6.विषयालम्बन कहते हैं – उन रति आदि भावों का जो आधार है वह आश्रय है।
Que.-7.आश्रयालम्बन कहते हैं – उन रति आदि भावों का जो आधार है वह आश्रय है।
Que.-8.उद्दीपन विभाव कहते हैं – स्थाई भाव को और अधिक उद्प्रबुध्द, उद्दीप्त और उत्तेजित करने वाले कारण को कहते है।
Que.-9.अनुभाव कहते हैं – विभावों के उपरांत जो भाव उत्पन्न होते हैं उन्हें अनुभाव कहते है।
Que.-10.””बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाई, सौंह करे, भौंहनि हंसे, दैन कहै नटि जाय”” में अनुभाव है?
– गोपियों की चेष्टाएं, सौंह करे, भौंहनि हंसे आदि अनुभाव है।
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